हिंदू पंचांग के अनुसार साल में चार नवरात्रि पड़ते हैं, जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो सार्वजनिक नवरात्रि होते हैं. माघ की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि की शृंखला में आती है, जिसे माघी नवरात्रि भी कहते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माघ नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा का विधान है, जो भी जातक दसों विद्याओं की पूजा अनुष्ठान जितनी गोपनीयता के साथ करता है, उसे उतनी ही बड़ी सफलता मिलती है. माघ नवरात्रि में तांत्रिक पूजा का विशेष महत्व होता है. February 2022 Festival, Fast and Special Day: फरवरी 2022 के मुख्य पर्व, व्रत एवं विशेष दिवस! जानें वसंत पंचमी से महाशिवरात्रि की प्रमुख तिथियां!
माघ मास की नवरात्रि के दौरान क्रमश: 10 महाविद्याओं की पूजा का विधान है. आइये जाने माघ नवरात्रि 2022 की पूजा के नियम एवं विधान!
- घट स्थापना समय (02 फरवरी 2022)
- घट स्थापना: 07.09 AM से 08.31 AM तक
नोट: इसी काल में कलश स्थापना करने के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए.
माघ नवरात्रि का महात्म्य
माघ 2022 की नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और अक्षुण्य पुण्य की प्राप्ति होती है. शिव पुराण के अनुसार एक बार देवी सती के पिता महाराजा दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन किया, जिसमे सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित गया, लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया. इस यज्ञ में जाने के लिए देवी सती ने अपने पति शिवजी के सामने अपने दस महाविद्याओं का प्रदर्शन किया था. शिव पुराण में इस पर विस्तार से उल्लेखित है.
पूजा विधि
घटस्थापना के पश्चात स्नान-ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. माघी नवरात्रि पर दस महाविद्याओं मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बंगलामुखी, मां मातंगी, और मां कमला की पूजा अर्चना की जाती है. पूजा में फल, फूल, धूप-दीप, कुमकुम, पान, सुपारी, लौंग, अक्षत आदि अर्पित करें. मां भगवती को लाल पुष्प अति प्रिय है, अत: उन्हें लाल पुष्प जरूर अर्पित करें. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि की पूजा करने से सभी मनोवांक्षित फलों की प्राप्ति होती है.