Kojagiri Purnima Marathi Shubhechha: कोजागिरी पूर्णिमा (Kojagiri Purnima) आज सोम्ब्वार 6 अक्टूबर को मनाई जा रही है, इसे शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) या रास पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन का बहुत महत्व है. यह पर्व भक्ति, समृद्धि और चांदनी के दिव्य संगम का प्रतीक है. पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 6 अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे से होकर 7 अक्टूबर को सुबह 9:16 बजे तक रहेगा. परंपरागत रूप से, पूजा रात्रिकाल में की जाती है, इसलिए कोजागिरी लक्ष्मी पूजन 6 अक्टूबर की रात को ही होगा. कोजागिरी पूर्णिमा के दिन चावल वाली खीर खाने का बहुत महत्व है. रात में खीर बनाने के बाद आकाश के नीचे इसे भीगने दिया जाता है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है, और इस चांदनी में भीगी खीर औषधीय गुणों से भर जाती है. अगले दिन, यह खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण खायी जाती है, जो स्वास्थ्य, धन और लंबी आयु का प्रतीक मानी जाती है. यह भी पढ़ें: Sharad Purnima 2025 Messages: हैप्पी शरद पूर्णिमा! अपनों संग शेयर करें ये हिंदी Shayaris, WhatsApp Wishes, Quotes और Facebook Greetings
भागवत पुराण के अनुसार कोजागिरी पूर्णिमा की रात भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास किया था. इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है. स्कंद पुराण के अनुसार, इस रात चंद्रमा अमृत की वर्षा करता है, जिससे यह विशेष रूप से फलदायक मानी जाती है. पद्म पुराण बताता है कि देवी लक्ष्मी इस रात पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो लोग जागरण और पूजा करते हैं, उन्हें वह आशीर्वाद देती हैं. इसी से इस पर्व को को-जागृति (कोजागिरी) पूर्णिमा कहा गया है. कोजागिरी पूर्णिमा के दिन आप ग्रीटिंग्स भेजकर एक दूसरे को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1. तुम्हाला व तुमच्या परिवाराला
कोजागिरीच्या हार्दिक शुभेच्छा!

2. कोजागिरी पौर्णिमेच्या
मनःपूर्वक शुभेच्छा!

3. कोजागिरी पौर्णिमेच्या
सर्वांना मंगलमय शुभेच्छा!

4. शुभ्र प्रकाश चंद्र-चांदण्यांचा,
सोबतीला बेत आहे केशरी दूधाचा...
कोजागिरीच्या हार्दिक शुभेच्छा!

5. कोजागिरी म्हणजे क्षण आनंदाचा,
उत्साहाचा आणि वैभवसंपन्नेचा...
कोजागिरीच्या हार्दिक शुभेच्छा!

पश्चिम बंगाल और झारखंड की सीमा से सटे चंदनकियारी, कसमार और चास जैसे क्षेत्रों में यह पर्व समुदायिक उत्सव का रूप ले लेता है. लोग मिलकर खीर बनाते हैं, जागरण करते हैं और चांदनी रात में सामूहिक भजन-कीर्तन करते हैं. कोजागरी पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है। साथ ही, इसकी किरणों में विशेष अमृत-तुल्य गुण होते हैं। इसलिए, कई लोग कोजागरी की रात को मंद चांदनी में बैठकर रात बिताते हैं.













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