Kalki Jayanti 2024 Messages in Hindi: हिंद धर्म की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, जगत के पालनहार भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) के अब तक नौ अवतार हो चुके हैं, जबकि कलयुग के अंत में भगवान विष्णु कल्कि के रूप में दसवां अवतार लेंगे. शास्त्रों में ऐसा लिखा गया है कि जब कलयुग में दुनिया में पाप अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाएगा, दुनिया का विनाश हो रहा होगा, तब भगवान विष्णु कल्कि का अवतार लेकर धरती पर आएंगे और अधर्म का विनाश करके फिर से धर्म की स्थापना करेंगे. कल्कि अवतार में भगवान विष्णु पाप का अंत करने के लिए दुष्टों का संहार करेंगे, इसी के साथ कलयुग का अंत होगा और सतयुग आरंभ होगा. हालांकि हिंदू धर्म में कल्कि अवतार लेने से पहले ही उनकी जयंती को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कल्कि जयंती (Kalki Jayanti) का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और आज (10 अगस्त 2024) कल्कि जयंती मनाई जा रही है.
कल्कि जयंती का महत्व इस विश्वास से जुड़ा है कि भगवान कल्कि के अवतार से संसार में फिर से सत्य, धर्म और न्याय की स्थापना होगी. कल्कि जयंती हमें याद दिलाती है कि कलयुग के अंत में एक बार फिर से धर्म की विजय होगी और अर्धम का नाश होगा. ऐसे में इस पावन अवसर पर आप इन भक्तिमय हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए अपनों को कल्कि जयंती की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
पाप की फिर बरियारी है,
देवदत तेरी बाट निहारे,
कल्कि अवतार की बारी है.
धर्मी का संबल बन जाओ,
मानवता का रक्षक बन कर,
दानवता का दमन करो तुम,
प्रलय तांडव नृत्य करो और,
महाकाल अब बन जाओ तुम.
कलि काल का हो विनाश,
सतयुग को फैलाओ तुम,
मनुज तुम्हारा बेबस है अब,
उसकी त्रास मिटाओ तुम,
‘कल्कि’ त्रास मिटाओ तुम.
अपने लक्ष्य से भटकाएगा,
अगर सत्य को तुम ढाल बना लो,
तो भरोसा करो वो हार जायेगा.
पर पुण्य हमारा कुछ तो होगा,
उसी पुण्य की सौगंध तुम्हें है,
कल्कि हो अवतार तुम्हारा.
कल्कि जयंती के दिन भक्त भगवान कल्कि की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते है. इसके लिए सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें. एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान कल्कि की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें फूल, चंदन, अक्षत इत्यादि से सजाएं. इसके बाद धूप-दीप जलाकर उनकी पूजा करें. पूजन के दौरान श्रीहरि के मंत्र ‘मत्स्यः कूर्मो वराहश्च नारसिंहोऽथ वामनः । रामो रामश्च रामश्च कृष्णः कल्किश्च ते दशः’ का जप करें. आखिर में आरती उतारकर उनसे अपने पापों के लिए क्षमा याचना करते हुए, सुख-समृद्धि की कामना करें.