International Women's Day 2021: भारत की शक्ति स्वरूपा ये 5 वीरांगनाएं आज भी महिलाओं की प्रेरणा स्त्रोत मानी जाती हैं!
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2021 (Photo Credits: File Image)

प्राचीन भारत को खंगालें तो सभी क्षेत्रों में महिलाएं पुरुषों से कमतर नहीं रही हैं. पतंजलि और कात्यायन जैसे भारतीय विद्वानों के अनुसार प्रारंभिक वैदिक कला में महिलाओं को पुरुषों की तरह हर तरह की शिक्षा दी जाती थी. ऋग्वेद काल की कृतियां दर्शाती हैं कि महिलाओं की शादी मैच्योर उम्र में की जाती थी, साथ ही उन्हें पति चुनने की आजादी थी. यद्यपि लगभग 500 ईसा पूर्व में के साथ ही महिलाओं के स्तर में क्रमशः कमियां आती गईं. मुगलों के आक्रमण और ब्रिटिश हुकूमत के दौर में महिलाओं की जिंदगी खाना बनाने और वंश को आगे बढ़ाने तक सीमित कर दिया गया. यद्यपि इसी दौर में भी कुछ महिलाओं ने अपने अपने तरीकों अपनी पहचान स्थापित करने में सफल रही हैं. जिनमें रजिया सुल्तान, रानी दुर्गावती, सावित्री बाई फुले, वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई, श्रीमती इंदिरा गांधी जैसी तमाम शख्सियतों ने विपरीत परिस्थितियों में न केवल अपनी पहचान बनाईं, बल्कि आम भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी बनीं. आइए जानें कुछ ऐसी ही महान महिला शख्सियतों के बारे में... यह भी पढ़ें: International Women's Day 2021: क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस? जानें इसका इतिहास और महत्व

* रज़िया सुल्तानः भारत की पहली महिला सुल्तान:

मुस्लिम शासक इल्तुतमिश की बेटी रजिया मध्ययुगीन भारत की पहली बहादुर, अदम्य साहसी, राजनीतिज्ञ, उत्कृष्ट प्रशासक थीं. उनके बारे में इतिहासकारों ने लिखा है कि यदि वे स्त्री नहीं होतीं तो भारत के महान मुस्लिम शासकों में उनका नाम शुमार होता. रजिया सुल्तान का जन्म सन् 1205 में हुआ था. उस समय की मुस्लिम राजकुमारियों के रूप में, उन्होंने लड़ाई करने में प्रशिक्षण प्राप्त किया, साथ ही सेनाओं का नेतृत्व किया और राज्यों का प्रशासन करना भी सीखा. अपने भाइयों की तुलना में वह बतौर शासक ज्यादा सक्षम थीं, इसीलिए इल्तुतमिश ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में रजिया सुल्तान को चुना. जब भी इल्तुतमिश राजधानी छोड़ता था, तो वह रजिया सुल्तान को एक शासक के रूप में जिम्मेदारियों का निर्वहन करने की शक्ति प्रदान करता था. लेकिन इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद, उनके पुत्र रुकुन- उद- दीन फिरोज ने सिंहासन पर कब्जा कर लिया. 1236 में, रजिया सुल्तान ने दिल्ली के लोगों के समर्थन से अपने भाई को हराकर दिल्ली सिंहासन की बागडोर संभाली. रजिया की ज्यादा उम्र युद्ध के मैदान में बीता. वे कुशल कूटनीतिज्ञ थीं. उन्होंने भटिंडा के सेनापति, मलिक अल्तुनिया से शादी कर ली और अपने पति के साथ दिल्ली पर चढ़ाई करने के लिए बढ़ी, लेकिन 13 अक्टूबर 1240 को, बहराम ने दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रजिया सुल्तान की हत्या कर दी.

* रानी दुर्गावतीः

रानी दुर्गावती अकेले चीते से भिड़ने के लिए मशहूर थीं! रानी दुर्गावती भारत की प्रसिद्ध वीरांगना थीं, जिसने मध्य प्रदेश के गोंडवाना क्षेत्र में कई वर्षों तक राज्य किया. उनके राज्य में प्रजा बहुत खुशहाल थी. रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को कालिंजर के राजा पृथ्वी सिंह चंदेल के यहां हुआ था, जिनका राज्य गढ़मंडला था, और इसका केंद्र जबलपुर था. इनका विवाह गौड़ राज दलपत शाह के साथ हुआ था. लेकिन विवाह के चार वर्ष बाद पति की असमय मृत्यु हो गई. इसके बाद अपने पुत्र वीर नारायण को सिंहासन पर बैठाकर उसके संरक्षक के रूप में स्वयं रानी दुर्गावती ने शासन करना प्रारंभ किया. इतिहासकारों के अनुसार दुर्गावती के शासन में राज्य की खूब तरक्की हुई. दुर्गावती को तीर तथा बंदूक चलाने का अच्छा अभ्यास था. चीते का शिकार करना उन्हें बहुत पसंद था, कभी-कभी वे चीते से अकेले भिड़ जाती थीं. कहते हैं कि अकबर दुर्गावती पर बुरी नजर रखता था. 24 जून 1964 में अकबर ने रानी दुर्गावती को गिरफ्तार करने के लिए बड़ी सेना भेजी, इसके पूर्व की उसके सैनिक दुर्गावती को पकड़ते, वे अपनी कटार अपने सीने में भोंककर शहीद हो गयीं. यह भी पढ़ें: Dayanand Saraswati Jayanti Wishes 2021: दयानंद सरस्वती जयंती पर ये कोट्स WhatsApp Stickers, GIF Greetings के जरिए भेजकर दें शुभकामनाएं

* सावित्रीबाई फुले, भारत की पहली शिक्षिका:

सावित्री बाई फुले देश की उस दौर की पहली महिला हैं, जब स्त्री शिक्षा के कोई मायने नहीं होते थे, ना ही उनके लिए अलग से कोई स्कूल या कॉलेज होता था, लेकिन सावित्रीबाई फुले ने भारतीय महिलाओं को न केवल स्कूल का रास्ता दिखाया, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी उनकी सहभागिता बढ़ाई. यद्यपि सावित्रीबाई फुले एक गरीब परिवार से थीं. सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र स्थित सतारा में हुआ था. काफी छोटी उम्र में ज्योतिबा फुले के साथ उनका विवाह करवा दिया गया. उस समय तक ज्योतिबा निरक्षर ही थीं, लेकिन पढ़ाई के प्रति उनकी ललक देखते हुए पति ज्योतिबा फुले ने उन्हें खेत में काम करते हुए पढ़ना लिखना सिखाया. अंततः 1848 में पुणे के भिड़े वाड़ा इलाके में पति की प्रेरणा से मात्र 17 वर्ष की आयु में सावित्री बाई फुले ने पहला गर्ल्स स्कूल शुरु किया. हालांकि इसके लिए उन्हें लोगों के प्रबल विरोध का सामना करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने कई और स्कूलें शुरू करते हुए महिलाओं को शिक्षित बनने के लिए प्रेरित करती रहीं. कहा जाता है कि प्लेग की महामारी के दौरान लोगों की सेवा करते-करते वे भी प्लेग की शिकार हो गयीं और 10 मार्च 1897 को उनकी मृत्यु हो गई.

* रानी लक्ष्मीबाई, जिनसे कांपती थी ब्रिटिश हुकूमत!

शौर्य और अदम्य साहस का दूसरा नाम अगर रानी लक्ष्मीबाई कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी में हुआ था. उनका वास्ताविक नाम मणिकार्णिका था. उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था, लेकिन प्यार से लोग उन्हें मनु कहते थे. उनके पिता मोरोपंत तांबे थे, जो बाजीराव पेशवा के यहां कार्यरत थे. माता भागीरथीबाई एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान और धर्मनिष्ठ स्वभाव की थी, वे बहुत छोटी सी थीं, जब उनकी माँ की मृत्यु हो गयी अंग्रेजों से देश को आजाद कराने के लिए रानी लक्ष्मीबाई ने अनेकों लड़ाइयां ब्रिटिश हुकूमत के साथ लड़ी, और हर युद्ध में अंग्रेजी हुकूमत के दांत उन्होंने खट्टे किए. ऐसे ही एक युद्ध में 18 जून 1858 के दिन अंग्रेजों से युद्ध करते हुए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी. कहते हैं कि पीछे से किसी ने उन पर धोखे से तलवार से वार किया था.

* इंदिरा गांधीः दुनिया की सबसे लंबे समय तक रही प्रधानमंत्री:

आजादी के बाद भारत में विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं ने अपने टैलेंट के दम पर खूब तरक्की की. शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा, जहां वे पुरुषों से कमतर रही हों. देश की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ऐसी ही अदम्य साहस की प्रतिमूर्ति थीं. इंदिरा गांधी का जन्म पं. जवाहर लाल के परिवार में 19 नवंबर 1917 को हुआ था. पिता जवाहरलाल नेहरू के साथ वे बचपन से ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहीं. पिता उन्हें प्यार से प्रियदर्शिनी कहकर पुकारते थे. बचपन में इंदिरा गांधी ने 'बाल चरखा संघ' की स्थापना की और असहयोग आंदोलन के दौरान कांग्रेस पार्टी की सहायता के लिए 1930 में बच्चों के सहयोग से 'वानर सेना' का निर्माण किया.

सितम्बर 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी सक्रियता को देखते हुए ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें जेल में कैद कर लिया. महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के साथ उन्होंने कई बार आंदोलनों में हिस्सा लिया और बार-बार जेल गईं. 26 मार्च 1942 को फ़िरोज़ गांधी से विवाह किया. उनके दो पुत्र राजीव गांधी एवं संजय गांधी थे. लालबहादुर शास्त्री के अचानक निधन के बाद 1966 में वह देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. उन्होंने पंद्रह वर्षों तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की, वे दुनिया की सबसे लंबे समय तक सेवारत महिला प्रधानमंत्री थीं, 1984 में उनके अपने ही सुरक्षा गार्डों ने उन्हें गोलियों से भूनकर मार डाला था.