International Women's Day 2021: क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस? जानें इसका इतिहास और महत्व
हैप्पी इंटरनेशनल वुमन्स डे 2020 (Photo Credits: File Image)

International Women's Day 2021: महिलाओं और नारी शक्ति के सम्मान में हर साल 8 मार्च को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) मनाया जाता है. महिलाओं को समर्पित यह दिन महिलाओं के अधिकारों के लिए आंदोलन का प्रतीक है और इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य भी महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना है.

ज्ञात हो  कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हर साल महिलाओं के सम्मान में विश्व के तमाम देशों में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. महिला दिवस पर आयोजित किए जाने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में  महिलाओं को प्रोत्साहित करने के साथ ही उनके प्यार, बलिदान और उनके अहमियत से लोगों को रूबरू कराया जाता है. इसके साथ ही उनके भीतर आत्मविश्वास जगाने की कोशिश की जाती है, ताकि वो कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना डंटकर कर सकें.

8 मार्च, 1857 को यूएस के न्यूयॉर्क शहर की कुछ महिला श्रमिकों ने बेहतर काम की स्थिति और बेहतर वेतन की मांग की. ब्रिटानिका की रिपोर्ट के अनुसार, उस समय पुलिस ने पूरी ताकत से प्रदर्शन को तितर-बितर करने की कोशिश की, लेकिन कई सालों के बाद फिर उन महिलाओं अपनी पूरी ताकत से एक स्वतंत्र महिला संघ का गठन किया. यह भी पढ़ें: March 2021 Festival Calendar: मार्च में मनाएं जाएंगे महाशिवरात्रि और होली जैसे बड़े पर्व, देखें इस महीने पड़ने वाले व्रत व त्योहारों की लिस्ट

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (IWD) का महत्व 20 वीं सदी में महिलाओं के अधिकारों और अंतिम मताधिकार को बढ़ावा देने के लिए तेजी से आगे बढ़ा. महिलाओं के उत्थान के लिए अपने अभियान के तहत, अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने 1909 में पहला राष्ट्रीय महिला दिवस आयोजित किया, जिसे पूरे अमेरिका में सामूहिक बैठकों द्वारा प्रोत्साहित किया गया.

वहीं बात इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम की करें तो इस साल इस दिवस का विषय 'महिला नेतृत्व: COVID-19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना' रखा गया है. यह थीम कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य की देखभाल श्रमिकों, इनोवेटर्स आदि के रूप में दुनिया भर में लड़कियों और महिलाओं के योगदान को रेखांकित करती है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को थीम के साथ पहली बार 1996 में  मनाया गया था. उस वर्ष संयुक्त राष्ट्र ने इसके लिए  थीम रखी  था 'अतीत का जश्न, भविष्य की योजना'.