महर्षि दयानंद सरस्वती (Dayanand Saraswati), एक भारतीय दार्शनिक, सामाजिक नेता और आर्य समाज के संस्थापक थे. उनका जन्म पूर्णिमांत फाल्गुन (12 फरवरी, 1824) के महीने में 10 वें दिन जन्परपारा टेंकारा में दर्शनजी लालजी कापड़ी और यशोदाबाई के घर हुआ था. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह कृष्ण पक्ष के दसवें दिन, फाल्गुन के महीने में पड़ता है, और यह मुहूर्त के अनुसार 8, मार्च 2021 को मनाया जा रहा है. दयानंद सरस्वती का मूल नाम मूल शंकर तिवारी था. स्वामी दयानंद पशु बलि, बाल विवाह और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव, जाति व्यवस्था जैसी सामाजिक बुराइयों का विरोध करने वाले पहले पुरुषों में से एक थे.
उन्होंने मूर्ति पूजा और तीर्थयात्राओं की भी निंदा की. उन्होंने अपने जीवनकाल में 60 से अधिक रचनाएं लिखीं, उनकी सबसे लोकप्रिय रचना है, सत्यार्थ प्रकाश. एक हिंदू परिवार में मूल शंकर तिवारी के रूप में जन्मे, स्वामी दयानंद वैदिक ज्ञान के प्रसिद्ध विद्वान थे. उनका दृढ़ विश्वास था कि हिंदू धर्म अपने संस्थापक सिद्धांतों से विचलित हो गया है और वैदिक विचारधाराओं को पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया. दयानंद ने जीवन और इसके अर्थ के बारे में गहन दृष्टिकोण प्राप्त करने के लिए भटकते हुए अपने जीवन के 25 साल तपस्वी की तरह बिताए. महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती को आर्य समाज के लोगों द्वारा धूम धाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग दयानंद सरस्वती के विचारों को याद करते हैं और उनके द्वारा दिए कोट्स और उपदेश भेजकर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं देते हैं. अगर आप भी स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती पर शुभकामनाएं देना चाहते हैं तो नीचे दिए गए कोट्स भेजकर दे सकते हैं. यह भी पढ़ें: Dayanand Saraswati Jayanti 2020: स्वामी दयानंद सरस्वती जयंती पर जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ रोचक और महत्वपूर्ण बातें
1. आर्य समाज के संस्थापक
समाज-सुधारक, महर्षि स्वामी
दयानन्द सरस्वती जयंती की शुभकामनाएं
2. आत्मा अपने स्वरूप में एक है,
लेकिन उसके अस्तित्व अनेक हैं.
महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती
जयंती की शुभकामनाएं
3. दुनिया को अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिए और
आपके पास सर्वश्रेष्ठ लौटकर आएगा.
महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती
जयंती की शुभकामनाएं
4. अज्ञानी होना गलत नहीं है,
अज्ञानी बने रहना गलत है
महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती
जयंती की शुभकामनाएं
5. सबसे उच्च कोटि की सेवा ऐसे
व्यक्ति की मदद करना है जो
बदले में आपको धन्यवाद कहने में
असमर्थ हो.
महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती
जयंती की शुभकामनाएं
उन्होंने 1875 में एक दृष्टि, सार्वभौमिक भाईचारे के साथ आर्य समाज की स्थापना की. उनका मानना था कि "सभी कार्यों को मानव जाति को लाभ पहुंचाने के मुख्य उद्देश्य के साथ किया जाना चाहिए." उन्होंने आर्य समाज के 10 सिद्धांत लिखे जो अब दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा अनुसरण किए जा रहे हैं.