Happy Gangaur 2022 Wishes in Hindi: सुहागन महिलाओं और विवाह योग्य कन्याओं के लिए आज का दिन बेहद खास है, क्योंकि आज यानी 4 अप्रैल 2022 को गणगौर तीज (Gangaur Teej) का त्योहार मनाया जा रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर तीज का त्योहार मनाया जाता है, जबकि इसकी शुरुआत चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से ही हो जाती है. इस तरह से यह पर्व करीब 17 दिनों तक मनाया जाता है और फिर चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर तीज व्रत (Gangaur Teej Vrat) के साथ इसका समापन होता है. राजस्थान (Rajasthan) में इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. गणगौर तीज यानी सौभाग्य तृतीया के व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना से करती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छा जीवनसाथी पाने की इच्छा से यह व्रत करती हैं.
गणगौर तीज के दिन ईसर देव यानी भगवान शिव और गौर यानी माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इससे व्रत करने वाली महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है. इस पर्व को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह देखने को मिलता है और एक-दूसरे को बधाई दी जाती है. ऐसे में आप भी इन हिंदी विशेज, मैसेजेस, वॉट्सऐप ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस और वॉलपेपर्स को भेजकर अपने सखी-सहेलियों से हैप्पी गणगौर तीज कह सकती हैं.
1- मां पार्वती आप पर अपनी कृपा बनाए रखें,
मुबारक हो आपको गणगौर का त्योहार.
हैप्पी गणगौर
2- ऊंचो चोड्यो चोखण नो जल,
जमुना रो नीर मंगावो जी राज,
जखे ईश्वर तापेड़ियां बाकी राण्या ने गौर पूजाओ जी राज,
गौर पूजन ता लूकेबे शायह या जोड़ी अबछल रखो जी राज,
सदाचल राखो जी राज...
हैप्पी गणगौर
3- मां पार्वती आप पर अपनी कृपा हमेशा बनाए रखें,
आपको गणगौर व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं.
हैप्पी गणगौर
4- मेहंदी का खुशबू,
पिया का प्यार,
चांद का इंतजार,
हो उसका जल्दी दीदार.
हैप्पी गणगौर
5- आस्था, प्रेम और पारिवारिक सौहार्द्र के प्रतीक,
गणगौर पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.
हैप्पी गणगौर
कहा जाता है कि गणगौर तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती ने सभी प्राणियों को सौभाग्य का वरदान दिया था, इसलिए इस दिन सुहागन महिलाएं मिट्टी से मां गणगौर बनाती हैं और फिर उनकी विधि-विधान से पूजा करती हैं. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, माता गौरा जी यानी माता पार्वती होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं और आठ दिनों के बाद ईसर जी यानी भगवान शिव उन्हें लेने के लिए आते हैं, इसलिए इस त्योहार की शुरुआत चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से होती है, जबकि समापन चैत्र शुक्ल तृतीया को होती है.