Children's Day 2019: बाल दिवस के अवसर पर स्कूल में दे ये स्पीच
पंडित नेहरु के जन्मदिन के मौके पर बाल दिवस मनाया जाता है (Photo Credits: unsplash.com)

Bal Divas 2019: बाल दिवस का पर्व स्कूलों में अपने-अपने तरीके से मनाया जाता है. लेकिन पंडित जवाहर लाल नेहरू को याद किये बिना बाल दिवस का पर्व पूरा नहीं हो सकता. बच्चे उऩ्हें बहुत प्यारे लगते थे. बच्चों के बीच पहुंचकर वे भी बच्चे बन जाते थे. बच्चों के प्रति निस्वार्थ प्यार देखकर बच्चे भी उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे. नेहरू जी की दिली ख्वाहिश थी कि उनके जन्मदिन को बच्चों से जोड़ा जाये, लिहाजा उनके जन्मदिन को ही बाल दिवस का जामा पहना दिया गया.

यहां हम बाल दिवस के लिए एक स्पीच प्रस्तुत कर रहे हैं, आप अगर किसी ऐसे जलसे की शोभा बनने जा रहे हैं तो आप इस स्पीच का प्रयोग कर सकते हैं.

बाल दिवस पर स्पीच:

माननीय प्रधानाचार्य महोदय, शिक्षकगण, विद्यार्थी एवं मेरे प्यारे साथियों

आज बाल दिवस का पुनीत पर्व है. इस अवसर पर आप लोगों ने मुझे दो शब्द बोलने का अवसर देकर मुझे जो सम्मान दिया है, उसके लिए मैं आप सभी का आभारी हूं... इस बाल दिवस की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं..

सर्वप्रथम हम बात करेंगे कि आखिर 14 नवंबर को ही हम बाल दिवस क्यों मनाते हैं. दरअसल आज ही के दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ था. इसलिए पूरा देश उनके जन्म दिन को ही बाल दिवस के रूप में मनाता है. पंडित नेहरू स्वाधीन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे लेकिन वे बच्चों को बहुत प्यार करते थे और बच्चे भी उन्हें प्यार से चाचा नेहरू के नाम से पुकारते थे. पंडित नेहरू अकसर कहते थे कि बच्चे घर और समाज में खुशी का कारण होने के साथ-साथ देश का भविष्य भी होते हैं. इसलिए उनकी परवरिश को सबसे ज्यादा महत्व देने की जरूरत है.

बच्चों, आजाद भारत के प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभालने के बाद से ही पंडित नेहरू बच्चों के शारीरिक, सामाजिक एवं नैतिक विकास के लिए सदा सक्रिय रहे. उनका मानना था कि बच्चे ही देश के भावी निर्माता होते हैं. अगर हमें अपना भविष्य सुरक्षित रखना है तो हमें उनके भविष्य को ज्यादा सुरक्षित और संगठित बनाना होगा.

दरअसल बाल दिवस का अर्थ पूर्ण रूप से तभी सार्थक होगा, जब हमारे देश के हर बच्चे को उसके मौलिक बाल अधिकारों की प्राप्ति होगी. बच्चों की भलाई और उनके अधिकारों के लिए सरकार भले ही तमाम योजनाएं क्यों ना चला रही हो, लेकिन जब तक इसका लाभ प्रत्यक्ष रूप से बच्चों तक नहीं पहुंचेगा, वे इसका लाभ नहीं उठायेंगे, तब तक बाल दिवस का कोई औचित्य नहीं बनता.

हमारे देश में आज भी बच्चे शिक्षा के अभाव में नन्हीं उम्र में परिश्रम वाले कार्य करने के लिए बाध्य हो रहे हैं, पर्याप्त एवं संतुलित भोजन के अभाव में बच्चों में कुपोषण की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. बाल श्रम मजदूरी पर कानूनी प्रतिबंध लगने के बाद भी बच्चों से चोरी छिपे काम कराया जाता है और पर्याप्त भुगतान नहीं किया जाता.

बाल दिवस जैसे पर्व का आयोजन देश के भविष्य के निर्माण में बच्चों के महत्व को दर्शाता है. बच्चे राष्ट्र की बहुमूल्य सम्पत्ति होने के साथ ही भविष्य और कल की उम्मीद भी हैं, इसलिए उन्हें उचित देखरेख और प्यार मिलना चाहिए. तभी बाल दिवस की सार्थकता होगी. बच्चों चलते चलते मैं एक कविता की पंक्तियां आपको सुनाना चाहता हूं...

चाचा नेहरु का बच्चों से है बहुत पुराना नाता

जन्मदिन चाचा नेहरु का बाल दिवस कहलाता

चाचा नेहरु ने देखे थे नवभारत के सपने

उस सपने को पूरा कर सकते है उनके अपने बच्चे

बाल दिवस के दिन हम सभी बच्चे मिलकर गीत ख़ुशी के गायेगें

चाचा नेहरु के चरणों में फूल मालाये चढ़ायेगें!

शालाओं में भी होते है नये नये आयोजन

जिसको देख कर आनंदित होते है हम बच्चो के तन मन

बाल दिवस के इस पवन पर्व पर एक शपथ ये खाओ

ऊँच नीच का भेद भूलकर सबको गले लगाओ!

बाल दिवस की शुभकामनाएं…