Guru Nanak Jayanti 2019: बाबा गुरु नानक देव की जिंदगी से जुड़े ये 8 गुरूद्वारे जिनका उनसे है खास रिश्ता
गुरुनानक देव (Photo Credits: File Photo)

Guru Nanak Jayanti 2019: भारत में हर जगह सिख धर्म के संस्थापक और धर्म गुरु,  नानक देव जी की 550वीं जयंती मनाई जा रही है. सिख धर्म के लोग पूरी दुनिया में फैले हुए हैं ज्यादातर अमेरिका के कनाडा में, वहां भी भारी मात्रा में सभी सिख समुदाय के लोग गुरु नानक देव जी की जयंती (Guru Nanak Jayanti) मना रहे हैं. गुरद्वारों को सजाया गया है, यहां लगातार कीर्तन चल रहे हैं. गुरु नानक देव जयन्ती को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है. उनका जन्म कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा 1526 ई में हुआ था. जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में स्थित है. इस साल 12 नवंबर 2019 को दुनियाभर में मनाया जाएगा. गुरु नानक देव जी की जयंती के पवित्र अवसर पर हम आपको बताएंगे उनकी जिंदगी से जुड़े उन गुरुद्वारों के बारे में जिनका उनसे खास नाता है.

गुरुद्वारा कंध साहिब, बटाला: गुरुद्वारा कंध साहिब पंजाब राज्य के गुरदासपुर ज़िले में स्थित्त है. यह गुरुद्वारा बाबा नानक देव की जिंदगी से जुड़ा हुआ है क्योंकि यहां पर उनका विवाह बीबी सुलक्षणा से हुआ था. विवाह के बाद वो जिस दीवार से लगकर बैठे थे गुरूद्वारे में वो दीवार आज भी मौजूद है, इस दीवार पर लोग मत्था टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं. नानक जयंती के अवसर पर यहां भक्तों की भीड़ लग जाती है. यहां गुरु नानक देव जी की जयंती यहां हर साल बड़ी ही धूम धाम से मनाई जाती है.

गुरुद्वारा हाट साहिब, सुल्तानपुर लोधी: ऐसा कहा जाता है कि गुरु नानक जी ने सुल्तानपुर के नवाब के यहां शाही भंडार में देख रेख की नौकरी की. यहां उन्होंने अपनी जिंदगी के काफी साल बिताए. जिसके बाद यहां पर गुरुद्वारा हाट साहिब का निर्माण किया गया. इस गुरूद्वारे में मत्था टेकने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं. गुरुनानक जयंती पर यहां ख़ास कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं.

गुरुद्वारा गुरु का बाग, सुल्तानपुर लोधी (कपूरथला): ऐसा कहा जाता है कि विवाह के बाद बाबा नानक देव जी अपनी धर्म पत्नी सुलक्षणा जी के साथ यहीं रहते थे. यहीं उनका घर था, इसी स्थान पर उनके बड़े बेटे बाबा श्री चंद का जन्म 1494 ईस्वी और छोटे बेटे बाबा लखमी दास का जन्म 1496 ईस्वी में हुआ. इस पावन स्थान पर बाबा नानक का परिवार फलाफूला था, इसलिए यह गुरु का बाग कहलाता है.

गुरुद्वारा कोठी साहिब, सुल्तानपुर लोधी (कपूरथला): यह गुरुद्वारा पंजाब के कपूरथला में स्थित है. यहां बाबा नानक देव के जमाने में जेल हुआ करता था. कपूरथला के नवाब ने हिसाब- किताब में गड़बड़ी का झूठा इल्जाम लगाकर उन्हें जेल में डाल दिया था. लेकिन अपनी गलती का एहसास होने पर उन्होंने गुरु नानक देव जी से माफी मांगी. बाद में बाबा नानक देव जी की याद में इस जेल की जगह गुरुद्वारा कोठी साहिब बनाया गया.

गुरुद्बारा बेर साहिब, सुल्तानपुर लोधी, कपूरथला: ऐसा कहा जाता है कि गुरुनानक देव जी का यहीं ईश्वर से साक्षात्कार हुआ था. वो अपने मित्र के साथ वैन नदी के किनारे बैठे थे और अचानक नदी में कूद गए. तीन दिन तक उनका कोई पता नहीं चला, तीन दिन बाद वो वापस आए और ओंकार सतनाम का संदेश दिया. सिखों के लिए ये गुरुद्वारा बहुत पवित्र है, यहां मत्था टेकने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.

गुरुद्बारा अचल साहिब, गुरदासपुर: गुरुद्बारा अचल साहिब पंजाब के गुरदासपुर में स्थित है, यह बहुत ही प्रसिद्द गुरुद्वारा है.नानक जयंती के दिन यहां लोगों की बहुतु भीड़ इकठ्ठा होती है क्योंकि अपनी यात्रा किके दौरान गुरुनानक देव यहां रुके थे और लोगों को सन्देश दिया था.

गुरुद्बारा डेरा बाबा नानक, गुरदासपुर: गुरुद्बारा डेरा पर बाबा नानक ने 12 वर्ष बिताए. जीवन भर धार्मिक यात्रा करने के बाद उन्होंने 12 वर्ष रावी नदी के किनारे बिताए.

गुरुद्बारा करतारपुर साहिब: गुरुद्बारा करतारपुर साहिब पाकिस्तान में स्थित है, यहां बाबा गुरुनानक देव जी का जन्म हुआ था और यहां उनका घर भी था. गुरुनानक जयन्ती के अवसर पर लाखों सिख प्रकाश पर्व मनाने करतारपुर जाते हैं. यहां उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी वक्त बिताए और पंचतत्व में यही विलीन हुए थे. यहीं से लंगर खिलाने की परंपरा शुरू हुई थी.

सिख धर्म के लोग गुरु ग्रंथ साहिब को सबसे ऊपर मानते हैं और उसमें बताई शिक्षाओं का पालन करते हैं. गुरु ग्रंथ साहिब को गुरुमुखी लिपि, लाहंडा, संस्कृत, खड़ी बोली, ब्रजभाषा, फारसी और सिंधी जैसी कई भाषाओं में लिखा गया है.