Govatsa Dwadashi 2023 HD Images: हिंदू धर्म में गौ माता को सबसे पवित्र व पूजनीय माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि गौ माता में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए गौ माता की पूजा की जाती है. गौ-भक्ति और गौ-सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है, स्वयं भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) भी गाय की सेवा करते थे, क्योंकि उन्हें गौ माता अत्यंत प्रिय है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, गौ माता के पूजन से सिर्फ देवी-देवता ही प्रसन्न नहीं होते हैं, बल्कि इससे पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. भविष्य पुराण के मुताबिक, गाय के पृष्ठदेश में ब्रह्मा, गले में विष्णु, मुख में रुद्र, मध्य में समस्त देवी-देवता, रोमकूपों में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, खूरों में सभी पर्वत, नेत्रों में सूर्य-चंद्र, गौमूत्र में सभी पवित्र नदियों का वास माना जाता है. ऐसे में गौ माता और बछड़ों के प्रति सम्मान व कृतज्ञता जाहिर करने के लिए हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी (Govatsa Dwadashi) मनाई जाती है. आज (9 नवंबर 2023) को यह पर्व मनाया जा रहा है.
गाय और बछड़ों को समर्पित गोवत्स द्वादशी के दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और उनके प्रति सम्मान जाहिर किया जाता है. धनतेरस के एक दिन पहले मनाए जाने वाले इस त्योहार की बधाई देने के लिए शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. ऐसे में आप भी इस अवसर पर इन शानदार हिंदी एचडी इमेजेस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, वॉलपेपर्स, फोटो विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स भेजकर वसु बारस की बधाई दे सकते हैं.
1- हैप्पी गोवत्स द्वादशी
2- बछ बारस की हार्दिक बधाई
3- वसु बारस की शुभकामनाएं
4- हैप्पी वाघ बारस
5- गोवत्स द्वादशी 2023
गौरतलब है गोवत्स द्वादशी को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. महाराष्ट्र में गोवत्स द्वादशी को वसु बारस, गुजरात में बाघ बारस या बछ बारस के नाम से जाना जाता है, जबकि आंध्र प्रदेश में इसे श्रीपाद श्री वल्लभ के श्रीपाद वल्लभ आराधना उत्सव के तौर पर मनाया जाता है और इसे नंदिनी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन लोग नंदी और नंदिनी को अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं, जिन्हें शैव परंपरा में बेहद पवित्र माना जाता है. नंदिनी व्रत पृथ्वी पर मानव जीवन को बनाए रखने में गौ माता के योगदान के प्रति आभार व्यक्त करने का खास दिन है. इस व्रत में लोग गायों को कपड़े व आभूषण से सजाते हैं, फिर माथे पर तिलक लगाकर उनकी पूजा करते हैं.