Gangaur Teej 2022 Messages in Hindi: वैसे तो सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से साल में कई व्रत करती हैं. अखंड सौभाग्य के पर्वों में से एक है गणगौर तीज, जो इस साल 4 अप्रैल 2022 को मनाई जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार, गणगौर तीज (Gangaur Teej) का त्योहार हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. गण का अर्थ भगवान शिव (Bhagwan Shiv) से है और गौर का मतलब है माता पार्वती (Mata Parvati), इसलिए इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है. वैसे तो गणगौर (Gangaur) का पर्व चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से शुरु हो जाता है और चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन गणगौर तीज पूजन के साथ समापन होता है. इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत करती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की कामना से गणगौर तीज का व्रत करती हैं.
गणगौर तीज का व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य और खुशहाल जीवन का वरदान मिलता है. इस पर्व पर महिलाएं और विवाह योग्य लड़कियां एक-दूसरे को बधाई देती हैं. ऐसे में इस बेहद खास अवसर पर आप भी इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर अपनी सखी-सहेलियों को गणगौर तीज की शुभकामनाएं दे सकती हैं.
1- व्रत गणगौर का है बहुत ही मधुर प्यार का,
दिल की श्रद्धा और सच्चे विश्वास का,
बिछिया पैरों में हो माथे पर बिंदिया,
हर जन्म में मिलन हो हमारा पिया.
गणगौर की शुभकामनाएं
2- आया रे आया गणगौर का त्योहार है आया,
संग में खुशियां और प्यार है लाया.
गणगौर की शुभकामनाएं
2- आया रे आया गणगौर का त्योहार है आया,
संग में खुशियां और प्यार है लाया.
गणगौर की शुभकामनाएं
3- एक दुआ मांगते हैं हम अपने भगवान से,
चाहते हैं आपकी खुशी पुरे ईमान से,
सब हसरतें पूरी हो आपकी,
और आप मुस्कुराएं दिल-ओ-जान से.
गणगौर की शुभकामनाएं
4- गणगौर है उमंगों का त्योहार,
फूल खिले हैं बागों में फागुन की है फुहार,
दिल से आप सब को हो मुबारक,
प्यारा ये गणगौर का त्योहार...
गणगौर की शुभकामनाएं
5- चंदन की खुशबू,
फागुन की बहार,
आप सभी को मुबारक हो,
गणगौर का त्योहार...
गणगौर की शुभकामनाएं
गौरतलब है कि 17 दिनों तक चलने वाले गणगौर पर्व का समापन गणगौर तीज के साथ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को होता है. इस दिन कुंवारी कन्याएं, विवाहित महिलाएं नदी या तालाब पर जाकर गीत गाती हैं और गणगौर को विसर्जिंत करती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता गौरा जी यानी माता पार्वती होली के दूसरे दिन अपने पीहर आती हैं और आठ दिनों के बाद इसर जी यानी भगवान शिव उन्हें लेने के लिए आते हैं, इसलिए इस त्योहार की शुरुआत चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से होती है. इस दिन महिलाएं मिट्टी से शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाकर प्रतिदिन पूजन करती हैं, फिर चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन गणगौर को विदाई दी जाती है.