सनातन धर्म में भगवान गणेश की पूजा का सर्वाधिक महत्व है, क्योंकि गणेशजी को प्रथमपूज्य माना जाता है. हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को देश भर में गणेशोत्सव पूरी धूमधाम से मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन गणेशजी का जन्म हुआ था. 11 दिवसीय इस महापर्व पर गणेश भक्त बड़ी धूमधाम से गणेशजी को आमंत्रित करते हैं, और सच्ची आस्था से पूजा-अर्चना करते हैं. विधि-विधान से गणपति की पूजा करने वाले जातक पर गणपति की कृपा से सुख, शांति, समृद्धि, बल एवं बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस वर्ष गणेशोत्सव 19 सितंबर 2023, से शुरू हो रहा है. आइये जानते हैं गणेश चतुर्थी के महात्म्य, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा विधि के बारे में विस्तार से... यह भी पढ़ें: Lalbaugcha Raja First Look 2023 Date: यहां देखें लालबागचा राजा की पहली झलक, जानें तिथि, समय और लाइव स्ट्रीमिंग से जुड़ी जानकारी
गणेश चतुर्थी का महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी का दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती के पुत्र गणेशजी को समर्पित है. इस दिन गणेश भक्त गणपति बप्पा को अपने-अपने घरों में और गणेश मंडल के लोग भव्य पंडालों में गणेश जी को धूमधाम से आमंत्रित करते हैं. 11 दिनों तक उनकी विधि-विधान से सेवा एवं पूजा-अर्चना करने के पश्चात उसी धूम से विदा कर दिया जाता है. मान्यता है कि भगवान गणेश की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से घर में सुख एवं शांति की वर्षा होती है, और तरक्की में आ रहे सारे विघ्न दूर हो जाते हैं.
गणेश चतुर्थीः मूल तिथि, प्रतिमा स्थापना का मुहूर्त एवं शुभ योग
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी प्रारंभः 12.39 PM (18 सितंबर 2023, मंगलवार) से
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी समाप्तः 01.42 PM (19 सितंबर 2023, बुधवार) तक
उदया तिथि के अनुसार 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी.
प्रतिमा स्थापना का शुभ मुहूर्तः 11.07 AM से 01.34 PM
शुभ योगः ज्योतिषियों के अनुसार इस गणेशोत्सव पर दो शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. इन य़ोगों में पूजा पूजा-अर्चना का दोगुना फल प्राप्त होता है.
वैधृत योगः सूर्योदय से सूर्यास्त तक
इसी दिन 01.48 PM तक स्वाति नक्षत्र रहेगा, इसके बाद विशाखा नक्षत्र शुरू हो जाएगा.
गणेश चतुर्थी पूजा विधि
भगवान गणेश सभी के प्रिय हैं. अतः इस दिन अधिकांश घरों में एवं पंडालों में गणपति आमंत्रित किये जाते है, ऐसे में अकसर पूजा करानेवाले पुरोहित व्यस्त रहते हैं. आप गणपति बप्पा को घर पर आमंत्रित कर रहे हैं, तो स्वयं भी उनकी पूजा सकते हैं, लेकिन पूजा की प्रक्रिया विधिवत और शुद्ध मंत्रोच्चारण से किया जाना चाहिए.
चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान करें, स्वच्छ वस्त्र धारण कर गणपति बप्पा की ध्यान करते हुए व्रत एवं पूजा का संकल्प लें, साथ ही अपने कुल देवता का भी ध्यान करें. पूजा स्थल पर पूर्व दिशा की ओर मुंह कर स्वच्छ आसन पर बैठें, एक स्वच्छ चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं. एक पीतल की थाली लाल चंदन अथवा रोली से स्वास्तिक बनाएं. इस पर गणेश जी मिट्टी की प्रतिमा स्थापित करें. धूप-दीप प्रज्वलित करें और गणेश जी का आह्वान मंत्र पढ़ें.
ॐ गणानां त्वा गणपतिं हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे |
निधीनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम् ||
अब गणेशजी को हल्दी, अक्षत, लाल चंदन, गुलाब, सिंदूर, मौली, रोली, दूर्वा की 21 गांठें, फूल, फल एवं मोदक अर्पित करें. निम्न मंत्र का उच्चारण करें.
‘ॐ गं गणपतये नम:’
इसके पश्चात गणेशजी की आरती उतारें. पांच मोदक गणेशजी के पास रखकर शेष मोदक को प्रसाद के रूप में बांट दें.