Ganeshotsav: देवों के देव महादेव (Mahadev) व माता पार्वती (Mata Parvati) के पुत्र और देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय भगवान गणेश (Lord Ganesha) के स्वागत की तैयारियों में हर कोई जुटा हुआ है. जी हां, 2 सितंबर 2019 को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) है और इसी दिन से 10 दिवसीय गणेशोत्सव (Ganeshotsav) की शुरुआत हो रही है. गणेशोत्सव के दौरान सार्वजनिक पंडालों और भक्तों के घरों में गणपति बप्पा (Ganpati Bappa) की मूर्ति स्थापित की जाती है. इस दौरान लोग गणेश भगवान के दर्शन करने के लिए तमाम गणेश मंदिरों और सार्वजनिक पंडालों का रूख करते हैं. कहा जाता है कि भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं और उनके दर्शन मात्र से भक्तों के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. देवताओं में प्रथम पूजनीय गणेश जी की पूजा हर शुभ कार्य की शुरुआत से पहले की जाती है, क्योंकि शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले गणेश जी का स्मरण करने से रास्ते में आनेवाली सारी बाधाएं दूर होती हैं और सभी काम निर्विघ्न पूरे हो जाते हैं.
भगवान गणेश सभी प्रकार के सुखों, सिद्धियों और सफलताओं के दाता माने जाते हैं. कहा जाता है कि जिन भक्तों पर गणेश जी की कृपा होती है, उनके जीवन में कभी कोई बाधा नहीं आती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश की पीठ के दर्शन भूलकर भी नहीं करने चाहिए, वरना जीवन में परेशानियों और दरिद्रता का सामना करना पड़ सकता है. चलिए जानते हैं आखिर भगवान गणेश की पीठ के दर्शन को क्यों वर्जित माना गया है और उनके शरीर के किस अंग में किसका वास माना जाता है. यह भी पढ़ें: Ganesh Chaturthi 2019: इस गणेशोत्सव पर करें इको-फ्रेंडली मखर डेकोरेशन, खूबसूरत सजावट के लिए देखें ये वीडियो और तस्वीरें
गणेश जी की पीठ में है दरिद्रता का वास
भगवान गणेश की पूजा करते समय इस बात का खास तौर पर ख्याल रखना चाहिए कि आप उनकी पीठ के दर्शन करने से बचें. दरअसल, गणपति जी के शरीर के अवयवों पर संपूर्ण ब्रह्मांड का वास होता है, इसलिए उनकी पूजा हमेशा आगे से करनी चाहिए. हालांकि पूजा के दौरान उनकी परिक्रमा करनी चाहिए, लेकिन पीठ के दर्शन करने से बचना चाहिए. माना जाता है कि गणपति जी की पीठ में दरिद्रता का वास होता है, इसलिए उनकी पीठ के दर्शन को शुभ नहीं माना जाता है. अगर गलती से उनकी पीठ के दर्शन हो जाए तो गणपति जी से क्षमा याचना कर उनके मुख के दर्शन करने से दोष का निवारण हो जाता है.
गणेश जी के किस अंग पर किसका वास?
भगवान गणेश जी की सूंड पर धर्म का वास माना जाता है. उनके कानों पर वैदिक ज्ञान, दाहिने हाथ पर भक्त लिए वरदान, बाएं हाथ में अन्न, पेट में सुख-समृद्धि, नाभि में संपूर्ण ब्रह्मांड, आंखों में जीवन का लक्ष्य, चरणों में समस्त सप्तलोक, मस्तक पर ब्रह्मलोक का वास माना जाता है. मान्यता है कि जब भी भक्त भगवान गणेश के दर्शन करते हैं तो उनके दर्शन मात्र से भी वरदान के तौर पर ये सभी चीजें मिल जाती हैं. यह भी पढ़ें: गणेश चतुर्थी 2019 में कब है? जानिए गणेशोत्सव का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
मान्यता है कि रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश अपने पिता महादेव की तरह शीघ्र ही भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. जिन पर उनकी कृपा होती है उन्हें जीवन के मार्ग में आनेवाली बाधाएं किसी भी तरह से हानि नहीं पहुंचा पाती हैं. भगवान गणेश के स्मरण मात्र से भक्तों के जीवन के सारे विघ्न दूर हो जाते हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.