Devshayani Ekadashi 2020: देवशयनी एकादशी कब है? भगवान विष्णु के गहन निद्रा में जाते ही चार माह के लिए बंद हो जाएंगे सभी शुभ कार्य, जानें तिथि, मुहूर्त और महत्व
भगवान विष्णु (Photo Credits: Instagram)

Devshayani Ashadhi Ekadashi 2020: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi), हरिशयनी एकादशी (Harishayani Ekadashi), आषाढ़ी एकादशी (Ashashi Ekadashi) और पद्मनाभा (Padmanabha) एकादशी जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. दरअसल, सूर्य के मिथुन राशि में आने पर देवशयनी एकादशी की यह तिथि आती है और इसके साथ ही चतुर्मास की शुरुआत हो जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) चार महीने के लिए क्षीरसागर में गहन निद्रा के लिए चले जाते हैं. 4 महीने बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर श्रीहरि शयन से जागते हैं. आषाढ़ शुक्ल की एकादशी से कार्तिक शुक्ल की एकादशी के बीच के अंतराल को चतुर्मास कहा जाता है. इस दौरान सभी शुभ कार्यों को करना वर्जित माना जाता है. इस साल देवशयनी एकादशी का पर्व 1 जुलाई 2020 को मनाया जा रहा है. चलिए जानते हैं देवशयनी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत का महत्व...

देवशयनी एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त

देवशयनी एकादशी तिथि- 1 जुलाई 2020

एकादशी तिथि प्रारंभ- शाम 07.49 बजे से ( 30 जून 2020)

एकादशी तिथि समाप्त- शाम 05.29 बजे तक (1 जुलाई 2020)

पारण का समय- सुबह 06.04 बजे से 08.44 बजे तक (2 जुलाई 2020)

इस विधि से करें व्रत

  • देवशयनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.
  • पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल या पंचामृत से स्नान कराएं.
  • एक चौकी पर पीले रंग के वस्त्र बिछाकर उस पर श्रीहरि की प्रतिमा को स्थापित करें.
  • धूप-दीप, अक्षत, तुलसी दल, पीले रंग के पुष्प, पीली मिठाई, चंदन इत्यादि से पूजा करें.
  • देवशयनी एकादशी व्रत की कथा पढ़े और आखिर में भगवान विष्णु की आरती उतारें.
  • 'ओम् नमो भगवते वासुदेवाय नम:' मंत्र का जप और 'विष्णु सहस्त्रनाम' का पाठ करें.
  • रात्रिजागरण के बाद द्वादशी तिथि को शुद्ध होकर व्रत पारण मुहूर्त में अपना व्रत खोलें.
  • व्रत का पारण करने से पहले ब्राह्मणों को मिष्ठान और दक्षिणा भेंट करें.

देवशयनी एकादशी का महत्व

सनातन धर्म में एकादशी के व्रत का काफी महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि जिस तरह से नदियों से सबसे श्रेष्ठ गंगा, प्रकाश तत्वों में सबसे श्रेष्ठ सूर्य और वैष्णव देवताओं में श्रीहरि को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है, उसी तरह सभी व्रतों में एकादशी के व्रत को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. यह तिथि भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है. साल में पड़ने वाली 24 एकादशियों में आषाढ शुक्ल की देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व बताया जाता है. यह भी पढ़ें: Ekadashi Vrat In Year 2020: भगवान विष्णु को समर्पित है एकादशी तिथि, जानिए साल 2020 में पड़ने वाली एकादशी तिथियों की पूरी लिस्ट

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी का व्रत करने से भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. इससे जीवन में आने वाली तमाम बाधाएं दूर होती हैं. भक्तों के जीवन में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस व्रत का महात्म्य स्वयं भगवान कृष्ण ने महाभारत के दौरान बताया था.

चतुर्मास हो जाएगा प्रारंभ

देवशयनी एकादशी (1 जुलाई 2020) से भगवान विष्णु के क्षीरसागर में गहन निद्रा में जाते ही चतुर्मास प्रारंभ हो जाएगा, जिसका मतलब है कि देवशयनी एकादशी के बाद से देवउठनी एकादशी के बीच किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाएंगे. दरअसल, चतुर्मास में किसी भी शुभ कार्य को करना अच्छा नहीं माना जाता है, इसलिए इस अवधि के दौरान शादी-ब्याह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, नई वस्तुओं की खरीदारी, नामकरण संस्कार जैसे कई धार्मिक कार्य वर्जित माने गए हैं.

हिंदू पंचांग के अनुसार, 1 जुलाई 2020 से लेकर 24 नवंबर 2020 तक चतुर्मास रहेगा और चतुर्मास की समाप्ति 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ होगी. देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह की गहन निद्रा से जागते हैं और इसके साथ ही शुभ व मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं.