सनातन धर्म में चैत्र माह की पूर्णिमा का बहुत महत्व है. इस शुभ दिन पर अधिकांश घरों में श्रीहरि अर्थात भगवान विष्णुजी का व्रत रखते हुए श्रद्धालु सत्यनारायणजी की कथा-पूजा करते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चैत्रीय पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने बृज नगरी में रास-उत्सव रचाया था. इस रास-उत्सव को महारास के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन बृज के हर कृष्ण मंदिरों में उनकी दिव्य पूजा की जाती है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इसी दिन माँ अंजनी के गर्भ से प्रभु श्रीराम भक्त हनुमान का जन्म भी हुआ था.
इस वजह से इस दिन का महत्व किसी भी हिंदू के लिए बढ़ जाता है. चैत्र पूर्णिमा की विदाई के साथ ही वैशाख महीने का आगमन होता है. इस वर्ष चैत्र पूर्णिमा आज यानी 8 अप्रैल को मनाया जा रहा है.
चैत्र पूर्णिमा का महात्म्य
धर्मसिंधु ग्रंथ और ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित है कि चैत्र माह की पूर्णिमा पर तीर्थ स्नान, दान, व्रत और विष्णुजी की पूजा-अर्चना करने से जाने-अनजाने हुए सारे पाप खत्म हो जाते हैं. आज के दिन विष्णु-पूजन करने से माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं, और भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. इस दिन अपनी सोलह कलाओं से युक्त चंद्रमा पृथ्वी पर अपनी खूबसूरती बिखेरता है. इस बार पूर्णिमा पर विशेष सुपरमून दिखाई देगा. आज की रात चंद्रमा पृथ्वी से ज्यादा करीब होने के कारण, चंद्रमा बहुत बड़ा और चमकीला दिखाई देता है. विद्वान इसे सुपर पिंक मून की संज्ञा दे रहे हैं. हालांकि, इस खगोलीय घटना को भारतीय नहीं देख सकेंगे, क्योंकि यह सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर नजर आएगा
लॉक डाउन का पालन करें घर पर ही करें विष्णु पूजा
परंपरानुसार इस दिन प्रातःकाल स्नान ध्यान कर भगवान विष्णु के व्रत का संकल्प लेते हैं. इसके पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करके करीबी विष्णु भगवान के मंदिर में जाते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं. लेकिन सोशल डिस्टेंस और लॉक डाउन के कारण मंदिर जाने के बजाय घर पर ही भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना कर लेनी चाहिए. ध्यान रहे भगवान की पूजा विश्वास और निष्ठा पर निर्भर करती है इसलिए अगर आप सच्चे मन से पूजा करेंगे तो क्या मंदिर क्या घर आपकी पूजा अवश्य सफल होगी.
विष्णु जी की पूजा-विधि
चैत्रीय पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नान करने के पश्चात दान, हवन, जप-तप और व्रत का बहुत महत्व है. इस दिन हनुमान जयंती होने के कारण पूर्णिमा की पूजा बहुत ज्यादा फलदायी साबित होती है. ध्यान रहे कि विष्णु जी की पूजा करने के पश्चात सूर्य देव की पूजा अवश्य करें. इसके साथ ही रात को चंद्रोदय के समय चंद्र देव का भी विधि-पूर्वक पूजा करनी चाहिए.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.