Chaitra Navratri 2019: नवरात्रि (Navratri) को पवित्रता और शुद्धता का पर्व माना जाता है. नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक भक्त शुद्ध मन से मां दुर्गा (Maa Durga) की पूजा-अर्चना करते हैं. इस दौरान भक्त भी अपने मन और शरीर की शुद्धता के लिए व्रत करते हैं. नवरात्रि में जो लोग व्रत करते हैं उनके लिए कपड़ा धोने, शेविंग करने, बाल कटवाने और पलंग पर सोने जैसी कई चीजों को वर्जित माना जाता है. हालांकि इस दौरान गृह प्रवेश, नया वाहन खरीदने और नए कार्यों की शुरुआत जैसे कामों को करना शुभ माना जाता है, लेकिन शादी (Marriage) जैसे मांगलिक कार्य को करना वर्जित माना जाता है.
नवरात्रि में अगर कई सारे मांगलिक कार्यों को करना शुभ माना जाता है तो फिर शादी (Marriage) जैसे मांगलिक कार्य को करना क्यों वर्जित माना जाता है, चलिए जानते हैं.
इसलिए नहीं किया जाता है नवरात्रि में विवाह
विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि में व्रत के दौरान बार-बार पानी पीने, दिन में सोने, तंबाकू चबाने और स्त्री के साथ सहवास करने से व्रत खंडित हो जाता है. कहा जाता है कि संतति के द्वारा वंश को आगे चलाने के उद्देश्य से शादी जैसे आयोजन किए जाते हैं, इसलिए इन दिनों विवाह करना वर्जित माना जाता है. इस दौरान शादी करने करने से परिवार और कार्यक्रम से जुड़े लोगों की शुद्धता, पवित्रता और संयम को बरकरार रखने में दिक्कत आ सकती है. इस दौरान शादी जैसे आयोजन करने पर न तो नवरात्रि से जुड़े नियमों का पालन ठीक से हो सकता है और न ही विवाह का सही तरीके से आनंद उठाया जा सकता है. यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2019: मां दुर्गा के इन 32 नामों का जरूर करें जप, दूर हो जाएंगे जीवन के सारे कष्ट
मां दुर्गा की उपासना से जुड़ी खास मान्यता
नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना से कई सारी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं, जिसके मुताबिक नवरात्रि में घर में जौ रोपना. इसके पीछे कारण बताया जाता है कि जब सृष्टि का आरंभ हुआ था तब पहली फसल जौ थी और वसंत ऋतु की पहली फसल भी जौ ही होती है, जिसे मां के चरणों में अर्पित किया जाता है. कहा जाता है कि जौ रोपने से देवी मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पूरे वर्ष घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती है. मान्यता है कि नवरात्रि में रोपे गए जौ जितनी तेजी से बढ़ते हैं घर में सुख-समृद्धि भी उतनी ही तेजी से बढ़ती है.
इसके अलावा नवरात्रि में कुवारी कन्याओं को मां दुर्गा की तरह पवित्र और पूजनीय माना जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, दो साल से 10 साल की कन्याओं को मां भगवती का स्वरूप माना जाता है, इसलिए इस दौरान इस उम्र की कन्याओं का विधिवित पूजन करके उन्हें भोजन कराया जाता है और उन्हें उपहार दिया जाता है. पवित्रता और शुद्धता के इन पावन नौ दिनों में शादी जैसे मांगलिक कार्य न करना ही उचित माना जाता है.