1st April 2021: मूर्ख दिवस के दिन शुरु हुआ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, आइए जानें RBI से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां!
आरबीआई (Photo Credits: IANS)

April Fools' Day 2021: फर्स्ट अप्रैल (1st April) की चर्चा होते ही जेहन में 'मूर्ख दिवस' (Fools' Day) घूम जाता है. लेकिन कम लोगों को पता होगा कि इस अनोखी तिथि के साथ कई अहम दिवस भी जुड़े हैं. साल 1935 में इसी दिन भारत के लिए सबसे अहम माने जानेवाले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank Of India) की स्थापना हुई. पहली अप्रैल साल 1869 को आयकर व्यवस्था शुरु होने के साथ नया 'तलाक' कानून अस्तित्व में आया. इसी 1 अप्रैल (1882) डाक बचत बैंक प्रणाली शुरु हुई. देश की राजधानी कलकत्ता भी इसी दिन (1912) दिल्ली शिफ्ट हुई. 1930 में 1 अप्रैल को विवाह की न्यूनतम आयु लड़कियों के लिए 14 और लड़कों के लिए 18 वर्ष तय हुई. 1933 में भारतीय वायु सेना को भी इसी दिन पंख मिले. 1935 में RBI के साथ इंडियन पोस्टल आर्डर भी शुरु हुई.

1 अप्रैल 1936 में उड़ीसा अस्तित्व में आया. 1 अप्रैल (1954) को सुब्रत मुखर्जी प्रथम भारतीय वायुसेना प्रमुख बने. 1956 में कंपनीज ऐक्ट भी 1 अप्रैल को लागू हुआ तो 1957 में दाशमिक मुद्रा एक पैसा चलन में आया और डाक टिकटों की बिक्री शुरू हुई. पहली अप्रैल को (1969) में पहला देशी परमाणु बिजली घर (तारापुर) शुरु हुआ तो 1976 में दूरदर्शन अस्तित्व में आया. 1976, 1 अप्रैल को स्टीव जॉब्स ने ऐपल कंपनी लांच, जबकि ( 2004) गूगल ने भी इसी दिन जीमेल शुरु किया. अब हम इसी मूर्ख दिवस पर 86वीं वर्षगांठ मना रहे RBI के संदर्भ में कुछ रोचक मुद्दों पर बात करेंगे.

साल 1926 में इंडियन करंसी एंड फाइनेंस से संबंधित रॉयल कमीशन ने भारत के लिए एक केंद्रीय बैंक बनाने का सुझाव दिया था. इस कमीशन को ‘हिल्टन यंग कमीशन' के नाम से भी जाना जाता था. अलग केंद्रीय बैंक शुरु करने का परम उद्देश्य करंसी और क्रेडिट पर नियंत्रण के लिए एक अलग संस्था बनाना और सरकार को इस दायित्व से मुक्त करना और पूरे देश में बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराना था.

साल 1934 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट के तहत रिजर्व बैंक की स्थापना हुई एवं 1935 में इसने स्वतंत्र कार्य शुरू किया. प्रारंभ में इसका मुख्य कार्यालय कलकत्ता (कोलकाता) रखा गया था. बाद में इसे मुंबई शिफ्ट कर दिया गया. ज्यों-ज्यों भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर आती गई, वित्तीय क्षेत्र में आवश्यक परिवर्तन हुए और इसका स्वरूप बदलता रहा. इसके साथ ही RBI की भूमिकाओं, कामकाज और जिम्मेदारियों में परिवर्तन हुए. हालांकि शुरू में यह निजी स्वामित्व में था. 1 जनवरी 1949 में इसके राष्ट्रीयकरण के साथ ही RBI को पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में कर दिया गया. यह भी पढ़ें: April Fools' Day 2021: अप्रैल फूल दिवस! इससे जुड़ी इन अलग-अलग किंवदंतियों को पढ़कर आप भी हो जाएंगे हंसी से लोटपोट

इस वजह से RBI का गठन किया गया

* मुद्दे को विनियमित करने के लिए.

* मौद्रिक स्थिरता की रक्षा करने एवं मुद्रा भंडारण के लिए.

* भारतीय मुद्रा और ऋण प्रणाली को बेहतर ढंग से संचालित करने के लिए.

इस बैंक की स्थापना की जरूरत क्यों हुई?

आजादी से पूर्व विभिन्न कीमतों के रुपये चलन में थे. ब्रिटिश हुकूमत ने एक स्टैंडर्ड सिक्का मार्केट में लाने की कोशिश की. कई वर्षों तक मुर्शीदाबाद का मानक सिक्का अस्तित्व में रहा, जो सिक्कों के लिए रेट्स ऑफ एक्सचेंज का आधार होता था. वस्तुत: मुगलकाल में एक मानक सिक्के का चलन था. उस सिक्के के वजन से अन्य सिक्कों का वजन कम होने पर उसकी अतिरिक्त वसूली की जाती थी, जिन्हें अंग्रेजी में 'डिस्काउंट' और हिंदी में 'बट्टा' कहते थे. आज भी आप फटे-पुराने नोट चलन में लाने के लिए बट्टा के नाम पर कुछ पैसे काटे जाते हैं, उस समय के सिक्कों की स्थिति वर्तमान में डॉलर और अन्य करंसी की स्थिति से समझा सकता है.

वर्तमान में भारत में एक ही मुद्रा (रुपया) चलन में है, जिसका सर्वत्र समान मूल्य है. लेकिन दुनिया की अन्य करंसी का वैल्यूएशन डॉलर में तय होता है. इसी तरह भारत में भी उस समय विभिन्न कीमतों वाले अलग-अलग सिक्कों का चलन था. इसे देखते हुए एक ऐसी संस्था की जरूरत थी, जो पूरे देश में एक मान्य सिक्का चलवाए. यह कार्य एक केंद्रीय बैंक ही कर सकता था. आजादी के बाद कुछ सालों तक रिजर्व बैंक पाकिस्तान को भी सेंट्रल बैंकिंग की सेवा उपलब्ध कराता था, जिसे 1948 में बंद कर दिया गया. फिलहाल इस केन्द्रीय बैंकिंग प्रणाली के क्षेत्रीय कार्यालय नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में स्थित हैं.