Things To Do in The Morning: प्रातःकाल उठने के बाद सर्वप्रथम दोनों हाथ जोड़कर, आंखें बंद कर अपने ईष्ट देवता का ध्यान करते हुए उनका आह्वान करना चाहिए, साथ ही प्रार्थना भी करनी चाहिए कि आप मुझ पर और मेरे परिवार पर दया दृष्टि बनाये रखें, हमारा आज का दिन बहुत अच्छा गुजरे. अब धीरे-धीरे आंखे खोलें और अपनी दोनों हथेलियों को ध्यान से देखें. सबसे ऊपर लक्ष्मी जी (Lakshmi), फिर सरस्वती जी (Saraswati) और नीचे गोविंद जी (Govinda) के निवास को महसूस करें. प्रतिदिन ऐसा करने से आपको धनलक्ष्मी, विवेक और पराक्रम की प्राप्ति होगी. इसके बाद बिस्तर से उठने से पूर्व धरती माता (Mother Earth) को हाथों से स्पर्श कर माथे पर लगायें और उनका ध्यान करें. तत्पश्चात अपने माता-पिता एवं बड़ों का चरण स्पर्श कर, उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें. अब नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्नान करें और एक तांबे के बर्तन में जल और लाल फूल डालकर सूर्य भगवान (Surya Bhagwan) को अर्पित करते हुए अपने और अपने परिवार की कुशलता की प्रार्थना करें. लेकिन ऐसा करने के पीछे क्या तर्क है आइये जानें.
कौन हैं इष्टदेवता ?
ईश्वर की कृपा किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत मायने रखती है, क्योंकि उन्हीं की कृपा से जीवन में सुख शांति आती है. समृद्धि हमारे द्वार पर आती है, हर कष्टों का सामना करने की शक्ति मिलती है. अब प्रश्न उठता है कि आखिर हमारे इष्ट देवी या देवता कौन हैं और हमें किन की पूजा करनी चाहिए. इष्ट देवता की जानकारी के लिए किसी ज्योतिषी से अपना संपूर्ण व्योरा देकर प्राप्त किया जा सकता है.
पृथ्वी को स्पर्श करने का तर्क
सनातन धर्म में धरती को माता का रूप माना जाता है. वास्तव में वही (धरती) हमारी पालनकर्ता है. वह हमें पानी और भोजन जैसी तमाम जीवनोपयोगी पदार्थ उपलब्ध कराती है. ऐसी माँ को स्पर्श करने से पृथ्वी के प्रति हमारा लगाव और दायित्व बढ़ता है. हमें मातृभूमि के प्रति जिम्मेदारी का अहसास होता है. धरती को स्पर्श करने के पीछे वैज्ञानिक तर्क यह है कि रात भर बिस्तर पर लेटे रहने से शरीर अकड़ जाता है. सुबह उठकर जब हम धरती को स्पर्श करते हैं तो पूरा शरीर झुकता है, जिससे रीढ़ की हड्डी और शरीर के जोड़ों की अकड़न दूर होती है और रक्त संचार सुचारु होता है.
क्यों छूते हैं बुजुर्गों के पैर?
शास्त्रों में उल्लेखित है कि प्रतिदिन बड़ों का चरण स्पर्श करने से आयु, विद्या, यश और शक्ति नें वृद्धि होती है. चरण स्पर्श भारतीय संस्कृति में सभ्यता और सदाचार का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श करने से कई प्रतिकूल ग्रह अनुकूल हो जाते हैं. इसका वैज्ञानिक तर्क यह है कि न्यूटन के नियम के अनुसार, दुनिया में सभी चीजें गुरुत्वाकर्षण के नियम से बंधी हैं. गुरुत्वाकर्षण सदैव आकर्षित करने वाले की तरफ जाता है. हमारे शरीर पर भी यही नियम लागू होता है. यह भी पढ़ें: Women Should Avoid These Mistakes: पत्नियां न करें ये गलतियां, इससे लक्ष्मी होती हैं नाराज और पति को भी उठाना पड़ सकता है भारी कष्ट
सूर्य को जल चढ़ाने का आशय
पौराणिक ग्रंथों में सूर्य को देवों की श्रेणी में रखा गया है. उन्हें आत्मा का कारक माना गया है, इसलिए प्रात:काल सूर्य-दर्शन कर उन्हें जल अर्पित करने से मन को अच्छे कार्य करने की प्रेरणा मिलती है साथ ही ये शरीर में स्फूर्ति भी लाता है. जो लोग रोजाना सूर्य देव को जल अर्पित करते हैं, सूर्य देव की कृपा उन पर बनी रहती है. सूर्य को जल चढ़ाने से मन एकाग्रचित्त होता है, ग्रहण करने की क्षमता बढ़ती है. ऐसे व्यक्ति जटिल से जटिल समस्याओं का समाधान चुटकियों में कर देते हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सूर्य का विशेष महत्व है. इसे सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. सूर्य की किरणें शरीर में मौजूद बैक्टीरिया को दूर कर निरोग बनाने का कार्य करती हैं.
नियमित रूप से करने से आपको दिव्य शांति का अहसास किया होता है, आपके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. सकारात्मक ऊर्जा आपमें इतनी शक्ति भर देता है कि आप हर कार्य खुशगवार मूड में पूरी श्रद्धा और ईमानदारी से करते हैं, और कार्य क्षेत्र में सफलता-दर-सफलता हासिल करते जाते हैं.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.