Tips For Puja: रात्रि प्रहर में पूजा-अनुष्ठान करते समय बरतें ये सावधानियां, वरना भगवान हो सकते हैं नाराज, जानें रात्रिकाल में किसकी पूजा होती है विशेष फलदायी
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

Tips For Night Puja: ईश्वर की पूजा (Worship) के लिए स्थान अथवा समय की कोई सीमा रेखा नहीं होती. आप जब भी मन में अशांति का अनुभव करें, ईश्वर का ध्यान अथवा पूजा कर सकते हैं, लेकिन कुछ पूजा के लिए कुछ आध्यात्मिक नियम भी होते हैं, जिसका पालन हमें अवश्य करना चाहिए, वरना लाभ के बजाय हानि हो सकती है. आइये जानें रात्रिकाल में किस देवी-देवता की पूजा (God-Goddess Puja in The Night) करनी चाहिए और किन बातों का विशेष ध्यान (Tips For Puja) रखना चाहिए.

रात्रि प्रहर पूजा के समय रखें इन बातों का ख्याल 

  •  हमारे शास्त्रों के अनुसार सूर्यास्त के बाद सूर्य की पूजा नहीं करनी चाहिए और रात्रि 12 बजे से 01 बजे के बीच हनुमान जी की पूजा वर्जित है, ऐसी मान्यता है कि इस काल में हनुमान जी लंका में होते हैं.
  • रात्रि पूजा में शंख अथवा घंटी नहीं बजाना चाहिए. शास्त्रों में इसकी दो वजहें बताई गई हैं, एक यह कि रात्रि के प्रहर में देवी-देवता सोने चले जाते हैं, शंख अथवा घंटी से उनकी नींद बाधित होती है, दूसरी वजह प्रकृति है, रात्रि में घंटी अथवा शंख बजाने से वायुमंडल में मौजूद शुप्त जीव का विश्राम बाधित होता है. इसलिए यह प्रकृति के नियमों के खिलाफ होता है.
  • रात में गणेशजी, दुर्गाजी, शिव जी विष्णुजी और सूर्यदेव की पूजा नहीं करनी चाहिए. मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद इनकी पूजा करने से जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
  • सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्तों को स्पर्श करना अथवा तोड़ना नहीं चाहिए. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस समय तुलसीजी लीला करने चली जाती हैं. कहा जाता है कि ऐसा करने से धन की हानि होती है.
  • विशेष परिस्थितियों में रात के समय पूजा करते समय हमारा मुख उत्तर दिशा में होना चाहिए. यह अभीष्ठ फलदायी माना गया है. इस बात का महत्व वास्तुशास्त्र में भी बताया गया है. इस दिशा में पूजा-अनुष्ठान करने से धन-धान्य और सुख संपत्ति में भी वृद्धि होती है. क्योंकि यह दिशा स्थिरता का सूचक है और कुबेर की सीधी दृष्टि इस दिशा पर रहती है. यह भी पढ़ें: Things To Do in The Morning: सुबह उठने के बाद सबसे पहले करने चाहिए ये काम, जानें इसके पीछे क्या है आध्यात्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक तर्क
  • गणेशजी, भगवान शिव, सरस्वती, लक्ष्मी और दूसरे देवताओं को भी दूर्वा चढ़ाया जाता है. अगर इनकी पूजा रात्रि में कर रहे हैं तो दुर्वा सूर्यास्त के पूर्व ही तोड़ लेनी चाहिए. क्योंकि शास्त्रों में उल्लेखित है कि सूर्यास्त के बाद किसी भी वनस्पति से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए.
  • रात में पूजा करते समय जिन फूलों, अक्षत और दूसरी चीजों का प्रयोग करते हैं, उसे सुबह होने तक यू्ं ही रहने दें, प्रातःकाल स्नान करने के बाद ही इन्हें हटाना चाहिए.
  • रात्रि के समय गणपत्यादि पंचदेवता की पूजा पूरे विधि-विधान से करने से ईश्वर की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.