हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक माह की चतुर्थी सर्वप्रथम पूजे जानेवाले भगवान श्रीगणेश जी को समर्पित बताया गया है. मान्यता है कि इसी दिन श्रीगणेश जी का जन्म हुआ था. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टि चतुर्थी के नाम से भगवान श्रीगणेश जी का व्रत एवं पूजा-अर्चना का विधान है. इस वर्ष आषाढ़ मास की विनायक चतुर्थी 13 जुलाई (मंगलवार) 2021 पड़ रहा है. कहते हैं कि इस दिन पूजा एवं व्रत करने वाले जातकों के जीवन में चल रही तमाम समस्याओं का नाश होता है एवं सुख, समृद्धि तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
इस चतुर्थी पर ये दो योग बन रहे हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार विनायक चतुर्थी के दिन दो योगों का निर्माण हो रहा है. पहला रवि योग प्रात: 05.32 से अगले दिन (14 जुलाई) प्रात: 03.41 बजे तक रहेगा. जबकि दूसरा सिद्धि योग दोपहर 02.49 बजे तक रहेगा. इसी तरह इस बार विनायक चतुर्थी का व्रत रवि योग और सिद्धि योग में होगा. सिद्धी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कहे जाने वाले इन दो योग में श्रीगणेश जी की आऱाधना करने से हर मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.
विनायक चतुर्थी का महत्व
हिंदू शास्त्र के अऩुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ है. इसके साथ ही हर महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाने का विधान है. इस दिन श्री गणेश जी की विधि-विधान से पूजा व्रत करने से गंभीर से गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्ति को रिलीफ मिलता है. उसके तमाम कष्ट दूर होते हैं. इस दिन छात्र-छात्राएं जब श्रीगणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं तो उनकी पढ़ाई में आ रहे सारे विघ्न दूर हो जाते हैं. यह भी पढ़ें : Yogini Ekadashi 2021 Wishes: योगिनी एकादशी पर श्रीहरि के इन WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, GIF Images, Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं
ऐसे करें विनायक चतुर्थी का व्रत एवं पूजा
चतुर्थी के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत्ति होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर घर के मंदिर की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए. श्रीगणेश जी का ध्यानकर व्रत एवं पूजन का संकल्प लेते हुए मन्नत मांगें. अब मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमा अथवा फोटो पर गंगाजल से छिड़काव कर धूप-दीप प्रज्जवलित करें. ऊँ श्रीगणेशाय नमः का मंत्र जपते हुए श्रीगणेश जी को रोली एवं अक्षत का तिलक लगायें, सुहागन महिलाएं सिंदूर चढ़ाएं एवं दूर्वा अर्पित करें. मान्यता है कि दूर्वा अर्पित करने से भगवान श्रीगणेश प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. गणेश जी को भोग में लड्डू, मोदक एवं मौसमी फल चढ़ाएं. पूजा के निमित्त भगवान श्रीगणेश जी की स्तुतिगान करने के पश्चात श्रीगणेश चालीसा का पाठ करें. पूजा का समापन श्रीगणेश जी की आरती उतार कर करें.
विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्त 2021
दिन 11.04 बजे से दोपहर 01.50 बजे तक (इन दो घंटे 46 मिनट की अवधि में पूजा करनी चाहिए)