Ashadha Vinayak Chaturthi Vrat 2025: आषाढ़ विनायक चतुर्थी पर इस योग में करें गणपति पूजा, मिलेगा आरोग्य जीवन का आशीर्वाद! जानें शुभ मुहूर्त एवं पूजा-विधि!
आषाढ़ विनायक चतुर्थी 2025 (Photo Credits: File Image)

Ashadha Vinayak Chaturthi Vrat 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Ashadha Vinayak Chaturthi) का व्रत रखा जाता है और विधि-विधान से प्रथम पूज्य श्री गणपति बप्पा (Ganpati Bappa) की पूजा अर्चना की जाती है, क्योंकि चतुर्थी की यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से जातक के सारे कष्ट मिट जाते हैं, तथा इच्छित कामनाएं पूरी होती हैं, जीवन में खुशहाली आती है. इस वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी का व्रत-पूजा 28 जून 2025 को किया जाएगा. आइये जानें आषाढ़ विनायक चतुर्थी व्रत एवं पूजा का महत्व, मुहूर्त एवं पूजा विधि इत्यादि के बारे में… यह भी पढ़ें: Bhagwan Vishnu & Chaturmas 2025: भगवान विष्णु चतुर्मास में ही क्यों करते हैं विश्राम? जानें इसका महत्व एवं कब से कब तक रहेगा चातुर्मास!

कब है आषाढ़ विनायक चतुर्थी

आषाढ़ विनायक चतुर्थी प्रारंभः 01.25 AM (27 जून 2025, शुक्रवार)

आषाढ़ विनायक चतुर्थी समाप्तः 02.22 AM (28 जून 2025, शनिवार)

उदया तिथि के अनुसार 28 जून 2025 को मनाया जाएगा.

आषाढ़ विनायक चतुर्थी पर बन रहे विशेष योग

हर्षण योगः सूर्योदय से 07.15 PM तक (28 जून 2025)

रवि योगः 06.35 AM  से अगले दिन 05.26 AM तक

उपरोक्त योग में गणपति की पूजा से उनसे आरोग्य़ जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

आषाढ़ विनायक चतुर्थी पूजा-विधि

आषाढ़ विनायक चतुर्थी को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान कर पीले रंग का परिधान पहनें. सूर्य को जल अर्पित करें. अब हाथ में जल फूल, दूर्वा एवं अक्षत लेकर गणेश जी का ध्यान करते हुए व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. इच्छित कामना पूर्ति की प्रार्थना करें. एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं. इस पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें. गणेशजी की प्रतिमा पर गंगाजल छिड़क कर प्रतीकात्मक स्नान कराएं. धूप दीप प्रज्वलित करें और निम्न मंत्र का जाप करें.

ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

अब भगवान गणेश को रोली, चंदन का तिलक लगाएं, दूर्वा की 21 गांठे, गुड़हल का लाल पुष्प, पान-सुपारी एवं लाल चंदन चढ़ाएं. भोग में मोदक या लड्डू तथा फल चढ़ाएं. गणेश चालीसा का पाठ करें. अंत में गणेशजी की आरती उतारें. रात्रि में चंद्रोदय होने पर चद्रमा को अर्घ्य दें. अगले दिन स्नान कर व्रत का पारण करें.