UP DGP Appointment: उत्तर प्रदेश की योगी कैबिनेट ने यूपी में डीजीपी की नियुक्ति के लिए नई नियमावली को मंजूरी मिली है. कैबिनेट के इस मंजूरी के बाद यूपी में अब DGP का चयन राज्य सरकार स्तर पर ही हो सकेगा. डीजीपी के चयन के लिए यूपीएससी भारत सरकार को पैनल नहीं भेजना पड़ेगा. सरकार के इस मंजूरी के बाद डीजीपी की नियुक्ति कम से कम दो साल के लिए की जाएगी. डीजीपी की नियुक्ति के लिए हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायधीश की अध्यक्षता में एक मनोनयन समिति गठित की जाएगी. जो यह कमेटी नए डीजीपी को नियुक्त करेगी. नई नियमावली के अनुसार, डीजीपी की नियुक्ति तभी की जाएगी, जब अधिकारी की सेवा में कम से कम छह महीने का समय बचा हो.
इसके साथ ही, मनोनयन समिति में मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग द्वारा नामित अधिकारी, यूपी लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या नामित अधिकारी, अपर मुख्य सचिव गृह, और डीजीपी के पद पर कार्य कर चुके एक सेवानिवृत्त डीजीपी सदस्य होंगे। इस नियमावली का उद्देश्य डीजीपी के पद पर उपयुक्त व्यक्ति की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र और पारदर्शी तंत्र स्थापित करना है. यह भी पढ़े: योगी सरकार का बड़ा फैसला, UP में फसलों के मुआवजे से छूटे 3.50 लाख से अधिक किसानों को करीब 177 करोड़ देगी सरकार
अच्छे रिकार्ड वाले अधिकारियों को मिलेगा मौका:
डीजीपी का चयन राज्य सरकार द्वारा पुलिस बल का नेतृत्व करने के लिए उनकी सेवा अवधि, सामान्यत: बहुत अच्छे सेवा रिकॉर्ड और अनुभव की सीमा के आधार पर किया जाएगा. मनोनयन समिति उन अधिकारियों के नाम पर विचार करेगी, जिनकी सेवानिवृत्ति में छह महीने से अधिक समय बचा हो. केवल उन्हीं नामों पर विचार किया जाएगा, जो वेतन मैट्रिक्स के स्तर 16 में डीजीपी के पद पर कार्यरत हैं.
डीजीपी नियुक्ति के लिए पहले संघ लोक सेवा आयोग को भेजे जाते थे नाम:
इससे पहले स्थायी डीजीपी की तैनाती के लिए संघ लोक सेवा आयोग को अधिकारियों के नाम का पैनल भेजना होता है. आयोग इनमें से तीन वरिष्ठ अधिकारियों के नाम का चयन करके राज्य सरकार को उनमें से किसी एक को चुनने का विकल्प देता है. विजिलेंस क्लीयरेंस के बाद राज्य सरकार तीनों में से उपयुक्त अधिकारी का चयन करती है. लेकिन सरकार के इस मंजूरी के बाद अब संघ लोक सेवा आयोग के पास DGP के नियुक्ति के लिए नाम नहीं भेजने पड़ेंगे.