Uttarakhand: देश का पहला स्नो लैपर्ड कंजर्वेशन सेंटर बना रही है रावत सरकार, स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत (Photo Credits: Facebook)

देहरादून: उत्तरकाशी (Uttarkashi) जिले के भारत-चीन सीमा क्षेत्र में हिम तेंदुओं (Snow Leopard) के संरक्षण के लिए उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार कई कदम उठा रही है. राज्य सरकार अपने इस मिशन में स्थानीय समुदाय को शामिल करना चाहती है. उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Govt) देश के पहले स्नो लैपर्ड कंजर्वेशन सेंटर (Snow Leopard Conservation Centre) के माध्यम से रोजगार के अवसरों को बढ़ाने की कोशिश कर रही है. स्नो लैपर्ड कंजर्वेशन सेंटर के जरिए राज्य सरकार स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के कई मार्ग खोलना चाहती है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) का कहना है कि हिम तेंदुए और अन्य वन्य जीवों के संरक्षण से राज्य में टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा.

स्नो लैपर्ड कंजर्वेशन सेंटर से रोजगार के कई मार्ग खुलेंगे, इससे उस स्थान में कैफेटेरिया, दुकान, होटल जैसी कई चीजों को बढ़ावा मिलेगा साथ ही रिसर्च के लिए स्थानीय लोगों की मदद ली जाएगी. सरकार ऐसे ही कई विभिन्न तरीकों के माध्यमों से स्थानीय आबादी को रोजगार देने के अपने उद्देश्य के लिए काम कर रही है. यह स्नो लैपर्ड कंजर्वेशन सेंटर लंका में बनाया जाएगा, जो सीमावर्ती जिले उत्तरकाशी में भैरोंघाटी पुल के पास है.

उत्तरकाशी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी (DFO) संदीप कुमार ने कहा, "स्नो लैपर्ड कंजर्वेशन सेंटर को इस तरह विकसित किया जा रहा है, जो स्थानीय रोजगार, पर्यटन के अवसरों और रिसर्च की सुविधा जैसे विभिन्न उदेश्यों को पूरा करेगा." उन्होंने कहा, यह कंजर्वेशन सेंटर स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देगा, इसके अलावा सरकार ऐसे कई अन्य माध्यमों पर विचार कर रही है जिससे आसपास के गांवों के स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके.

वरिष्ठ वन अधिकारी संदीप कुमार (Sandeep Kumar) ने बताया कि इस क्षेत्र में काम करने वाले किसी भी शोधकर्ता को स्थानीय लोगों से मदद की आवश्यकता होगी, यह इलाका काफी दूरस्थ है और इसे सिर्फ स्थानीय लोग ही अच्छी तरह से जानते हैं, इसलिए इस काम में लोकल लोगों की मदद जरूर लगेगी. उन्होंने आगे कहा, "हम आसपास के आठ गांवों के स्थानीय लोगों को गाइड के रूप में काम करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. हरसिल, मुखवा और कई अन्य सीमावर्ती गांवों के लोगों को साहसिक पर्यटन, होम स्टे, बर्ड वॉचिंग आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा. क्योंकि ये लोग स्थानीय जलवायु के आदी हैं और यहां के वनस्पतियों और जीवों को अच्छी तरह से जानते हैं, इसलिए ये काम वे कर पाएंगे."

इस कंजर्वेशन सेंटर को बनाने के काम में भी स्थानीय लोगों को शामिल किया जाएगा. स्थानीय कारीगर निर्माण में शामिल होंगे, भविष्य के प्रशिक्षण अभियानों के लिए स्थानीय स्तर पर गाइड्स की भर्ती की जाएगी. यह कंजर्वेशन सेंटर भूकंप प्रतिरोधी होगा साथ ही इसमें स्थानीय वास्तुकला शैलियों और डिजाइनों को भी प्रदर्शित किया जाएगा. इसके अलावा सबसे बड़ी बात यह है कि इस परियोजना के लिए कोई भी पेड़ नहीं काटा जाएगा. भूस्खलन में जिन पेड़ों को नुकसान पहुंचा है, केवल उन्हीं पेड़ों का इस्तेमाल किया जाएगा.

इस साल अगस्त में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य के वन मंत्री हरक सिंह रावत और वन विभाग के अधिकारियों के साथ इस संबंध में एक बैठक की थी. सीएम रावत ने तब कहा था कि राज्य में हिम तेंदुओं की गणना की जाए. साथ ही सीएम ने कहा कि हिम तेंदुओं के सरंक्षण एवं इनकी संख्या में वृद्धि के लिए विशेष प्रयास किए जाए.

सीएम रावत ने कहा था, पिछले कुछ वर्षों में जिन क्षेत्रों में हिम तेंदुए देखे गए हैं, स्थानीय लोगों एवं सैन्य बलों के सहयोग से वन विभाग ऐसे क्षेत्र चिन्हित करे. मुख्यमंत्री ने कहा कि हिम तेंदुए और अन्य वन्य जीवों के संरक्षण से राज्य में विंटर टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा.

बता दें कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में वन्य जीवों की अनेक प्रजातियां हैं, जो पर्यटकों के आर्कषण का केंद्र बनती हैं. उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पिछले कुछ सालों में वन्य जीवों की संख्या में वृद्धि हुई है, इसके संरक्षण के लिए राज्य सरकार निरंतर काम कर रही है.