
यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम (US Commission on International Religious Freedom) जो एक इंटरनेशनल धार्मिक स्वतंत्रता मामलों से जुड़ी संस्था हैं उसने भारत की रैंकिंग को धार्मिक फ्रीडम के मामले में 2004 के बाद निचे पायदान पर ला दिया है. इतना ही नहीं यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम ने (USCIRF) ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि भारत के पायदान के खिसने के पीछे नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) और उसके साथ ही मुसलमानों पर हो रहे देश में भेदभाव भरे व्यवहार है. यूएससीआईआरएफ ने अपने वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि सरकार मुसलमान और अन्य समुदाय के लोगों के खिलाफ हो रही हिंसक घटनाओं को रोकने में भी नाकाम रही है.
USCIRF (संयुक्त राज्य) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में प्रस्ताव रखा है कि भारत को ‘विशेष चिंता का देश’ के तौर पर देखा जाए. आयोग ने अपने रिपोर्ट में कहा गया, राष्ट्रीय और विभिन्न राज्य सरकारों ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्पीड़न और हिंसा के राष्ट्रव्यापी अभियानों की अनुमति दी है. ये उनके साथ हिंसा जारी रखते हैं और उकसावे की भावना भावना को भड़काते हैं. इन बातों के आधार पर इस रिपोर्ट में USCIRF भारत के लिए CPC पदनाम की सलाह देता है.
USICRF ने कहा कि भीड़ हिंसा के मामले भाजपा शासित राज्यों में ज्यादा देखने को मिले हैं. रिपोर्ट में कहा गया, ईसाईयों के खिलाफ भी हिंसा बढ़ा है जहां ऐसे कम से कम 328 मामलें देखे गए हैं. ईसाईयों पर जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए इनपर हिंसा किया गया. ये हमलें ज्यादतर प्रार्थना सभाओं पर हुए हैं और इसके चलते बड़े स्तर पर गिरजाघरों को नेस्तनाबूत किया गया.
वहीं इस रिपोर्ट के बाद विदेश मंत्रालय ने जवाब में कहा है कि यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन द्वारा भारत में अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर पेश की गई वार्षिक रिपोर्ट को हम अस्वीकार करते हैं. ये भारत के खिलाफ पक्षपाती और विवादित टिप्पणी है जोकि नई नहीं है. लेकिन इस अवसर पर इन्होंने अपनी गलती को नए स्तर पर पेश किया है.
It has not been able to carry its own Commissioners in its endeavour. We regard it as an organization of particular concern and will treat it accordingly: Ministry of External Affairs https://t.co/ZCRaQ2O0AI
— ANI (@ANI) April 28, 2020
इससे पहले यूएससीआईआरएफ के अध्यक्ष टोनी पर्किंस ने दिल्ली हिंसा को लेकर भी चिंता जताई थी. उन्होंने अपने एक बयान में कहा था, हम इंडिया की सरकार से अपील करते हैं कि वह भीड़ हिंसा का शिकार बने मुसलमानों और अन्य समूहों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए ठोस प्रयास करे.