आज शुरू हुआ था दुनिया का पहला ATM मशीन! जानें इससे जुड़े विवाद कुछ एवं रोचक जानकारियां!
ATM (Photo Credit: (Pixabay)

वर्तमान में एटीएम मशीन आम लोगों के जीवन का आवश्यक पहलू बन गया है. अब आपको अपने पैसे निकालने अथवा जमा करने के लिए बैंक कर्मियों के आगे-पीछे नहीं भागना पड़ता, ना ही लंबी कतार लगानी पड़ती है, क्योंकि आपका निकटतम एटीएम मशीन ये सारे कार्य दो मिनट में कर देता है. लेकिन क्या आपको पता है कि आपका यह छोटा-मोटा बैंक कब और कैसे शुरू हुआ. आइये जानते हैं इसकी रोचक कहानी.. यह भी पढ़ें: Teachers Day 2023: शिक्षक दिवस पर अपने शिक्षक का सम्मान कुछ इस तरह करें! जानें छह महत्वपूर्ण एवं रोचक टिप्स!

साल 1969, 02 सितंबर के दिन दुनिया के पहला एटीएम न्यूयॉर्क (यूएसए) स्थित रॉकविल सेंटर में केमिकल बैंक द्वारा स्थापित किया गया था. विश्व का यह पहला एटीएम देखते ही इतना सफल हुआ कि इस एटीएम मशीन को बनाने वाली कंपनी डॉक्यूटेल ने देखते ही देखते अगले पांच सालों में 70 फीसदी बाजार पर नियंत्रण कर लिया. इस एटीएम मशीन को फोन वेत्जेल ने बनाया था. साल 1973 में वेत्जेल को पहला एटीएम मशीन पेटेंट मिल गया, वरना जानकार बताते हैं कि वेत्जेल से पहले दो स्कॉटिश इंजीनियर जॉन शेफर्ड और बेरन यह मशीन बनवा चुके थे.

दावे और विवाद!

हालांकि पहला एटीएम मशीन किसने बनाया, इस पर भी विवाद है, क्योंकि उस दौर में अलग-अलग विशेषज्ञ ऐसे साधन पर काम कर रहे थे, ताकि बैंक कस्टमर को पैसों के लेनदेन के लिए बैंक में लंबी लाइन में लगकर समय ना खराब करना पड़े. इसलिए एटीएम मशीन के पहले खोजकर्ता को लेकर अलग-अलग दावे किये जाते रहे हैं. साल 1967 में स्कॉटिश इंजीनियर जॉन शेफर्ड, बैरन और उनकी टीम यह एटीएम मशीन बनाया था, इस एटीएम मशीन को ईजाद करने की मुख्य वजह यह थी कि एक बार बैरन बैंक बंद होने के कारण अपना चेक नहीं कैश करवा सका था.

बेरन को मशीन से पैसा निकालने का आइडिया चॉकलेट वेंडिंग मशीन मिला, जो पैसा डालने पर चॉकलेट देती थी. शेफर्ड और बेरन ने एक ऐसी मशीन ईजाद करने की सोची, जो चॉकलेट के बजाय कैश वितरित करती थी. जॉन शेफर्ड और बेरन द्वारा निर्मित इस मशीन से पैसा निकालने के लिए चेक का इस्तेमाल करना होता था. चेक पर रेडियोएक्टिव पदार्थ लगे होने से एटीएम मशीन का स्केनर उसे रीड करता था, इसके बाद छ अंकों का पिन इस्तेमाल करना होता था, लेकिन शेफर्ड की पत्नी की शिकायत थी कि छः अंकों वाला पिन हर कोई आसानी से नहीं याद रख सकता, तब शेफर्ड ने पिन का नंबर छः के बजाय चार अंकों में कर दिया.

27 जून 1967 को मशीन ने काम करना शुरू भी कर दिया था, लेकिन शेफर्ड को शक था कि इस तकनीक का इस्तेमाल हैकर कर सकते हैं, इसलिए उन्होंने अपने एटीएम मशीन का पेटेंट नहीं करवाया. शेफर्ड और बेरन के अलावा जेम्स गुड फेलो ने भी 1966 में एटीएम टेक्नोलॉजी के लिए पेटेंट करवाया था, इसमें चेक के बजाय प्लास्टिक कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था, जो आज भी जारी है. इस कड़ी का एक दिलचस्प पहलू यह है कि पहली बार इस कैश मशीन से कैश ट्रांजेक्शन के लिए अंग्रेज अभिनेता रेग वर्नी ने इसका इस्तेमाल किया था.