National Voters Day 2021: हर लोकतंत्र की पहचान है मतदान का अधिकार
मतदान/वोट (Photo Credits: ANI)

किसी भी लोकतंत्र (Democracy) का भविष्य उसके मतदाताओं पर निर्भर होता है. यह देश के मतदाता ही तय करते हैं कि देश के नेतृत्व की कमान किसके हाथों में होगी. सवा अरब की आबादी वाले भारत में मतदाताओं का महत्व और भी अधिक है. भारत में राष्ट्रीय मतदाता दिवस हर साल 25 जनवरी को मनाया जाता है. भारत सरकार ने चुनावों में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए वर्ष 2011 में निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस को ही 'राष्ट्रीय मतदाता दिवस' के रूप में मनाने की शुरुआत की थी. तभी से हर साल 25 जनवरी को ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.

राष्ट्रीय मतदाता दिवस' का उद्देश्य लोगों की मतदान में अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ-साथ मतदाताओं को एक योग्य प्रतिनिधि के चुनाव हेतु मतदान के लिए जागरूक करना है. हमारे लोकतंत्र को विश्व में मजबूत बनाने में भारत के मतदाताओं के साथ-साथ निर्वाचन आयोग का भी अहम् योगदान है. यह भी पढ़े: PM Modi ने की सामान्य युवाओं को राजनीति में आने की अपील, कहा- वंशवाद का जहर लोकतंत्र को कमजोर कर रहा हैं

80 करोड़ से अधिक मतदाताओं के साथ भारत विश्व का सबसे जीवंत लोकतंत्र

वोट का अधिकार लोगों को स्वाभाविक रूप से नहीं मिला था. इसे क्रांतियों और संघर्षों के बाद प्राप्त किया गया है. प्रसिद्ध फ्रांसीसी क्रांति के परिणामस्वरूप 11 अगस्त 1792 को फ्रांस के लोगों को पहली बार मतदान का अधिकार प्राप्त हुआ था.हालाँकि, शुरुआती वर्षों में, महिलाओं को वोट डालने के अधिकार से वंचित रखा गया था. महिलाओं को राष्ट्रीय तौर पर मतदान का अधिकार देने वाला पहला देश न्यूजीलैंड था.

वहीं भारत के नागरिकों को 1951-52 में मतदान का अधिकार दिया गया था. 80 करोड़ से अधिक योग्य मतदाताओं और दुनिया की सबसे कम उम्र की आबादी के साथ, भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में प्रतिष्ठित है. सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के अलावा, भारत 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को मतदान का अधिकार देने के लिए सबसे जीवंत और समावेशी लोकतंत्रों में से एक है. यहाँ वोट का अधिकार, किसी की धार्मिक, सांस्कृतिक या सामाजिक पहचान, जाति, वर्ग, पंथ या लिंग के आधार पर नहीं बल्कि नागरिकता के आधार पर दिया जाता है.

विभिन्न देशों के मतदाताओं की आयु सीमा में है अंतर

विश्व के 90 प्रतिशत लोगों को 18 वर्ष की आयु के बाद मताधिकार प्राप्त हो जाता है. लेकिन लेबनान, मलेशिया, सिंगापुर जैसे कुछ देशों में वोट देने की न्यूनतम आयु 21 है. इसके उलट अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया एवं ब्राजील में 16 वर्ष की आयु से ही वोट डाल सकते हैं. भारत सहित 160 देशों में मतदान की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है. वहीं साउथ कोरिया इकलौता देश है जहाँ लोगों को 20 वर्ष के होने के बाद मताधिकार प्राप्त होता है.

इसी तरह विभिन्न देशों में चुनावों के बीच का अंतराल भी अलग-अलग है. सैन मरीनो में प्रत्येक वर्ष चुनाव होते हैं. वहीं ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड सहित 4 देशों में 3 वर्ष के अंतराल पर चुनाव होते हैं. अमेरिका, जापान, जर्मनी सहित 48 देशों में हर 4 साल के बाद चुनाव होते हैं. जबकि जॉर्डन, डेनमार्क, ग्रीस जैसे कुछ देशों में दो चुनावों के बीच की अवधि निश्चित नहीं है.