
Jaishankar Exposes West’s Democracy Hypocrisy: म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में शुक्रवार को भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकतंत्र को लेकर पश्चिमी देशों की धारणा पर करारा तंज कसा. उन्होंने कहा कि पश्चिम अक्सर लोकतंत्र को केवल अपनी विशेषता के रूप में देखता है. यह बयान उन्होंने 'लाइव टू वोट अनदर डे: फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रेजिलिएंस' पैनल चर्चा के दौरान दिया, जिसमें नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोरे, अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लोटकिन और वारसॉ के मेयर रफाल ट्रास्कोवस्की भी शामिल थे. जयशंकर ने इस धारणा से असहमति जताई कि लोकतंत्र वैश्विक स्तर पर संकट में है और उन्होंने भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को रेखांकित किया.
भारतीय लोकतंत्र की मजबूती पर जोर
जब उनसे पश्चिमी लोकतंत्र को लेकर उनकी राय पूछी गई, तो उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि मैं इस पैनल में सबसे आशावादी व्यक्ति हूं, जहां अधिकतर लोग निराशावादी दृष्टिकोण रखते हैं. मैं एक उदाहरण देना चाहूंगा—यह मेरी उंगली पर मतदान का निशान है. हमने हाल ही में अपने राज्य (दिल्ली) में चुनाव संपन्न किया है. पिछले वर्ष राष्ट्रीय चुनाव हुए थे, जिसमें 90 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 70 करोड़ लोगों ने मतदान किया था. भारत में वोटों की गिनती एक ही दिन में पूरी होती है."
"...The West was busy encouraging non democratic forces in the global south, it still does.."
EAM Dr S Jaishankar at Munich Security Conference pic.twitter.com/DbxxZN8yPK
— Sidhant Sibal (@sidhant) February 15, 2025
उन्होंने आगे कहा, "आज की तुलना में दशकों पहले की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक लोग मतदान करते हैं. इसलिए, यदि कोई यह कहे कि लोकतंत्र वैश्विक स्तर पर संकट में है, तो मैं इससे पूरी तरह असहमत हूं. हमारे देश में लोकतंत्र जीवंत है, मतदान सही तरीके से हो रहा है और हम अपने लोकतांत्रिक मार्ग को लेकर आशान्वित हैं. हमारे लिए, लोकतंत्र ने वास्तव में परिणाम दिए हैं."
"...What do western ambassadors do in India, if my ambassador, if my ambassador does a fraction of that, you will all be up in arms..." EAM Dr S Jaishankar at Munich Security Conference on outreach to outliers pic.twitter.com/FXq3ya1hf2
— Sidhant Sibal (@sidhant) February 15, 2025
लोकतांत्रिक व्यवस्था और सामाजिक कल्याण
सीनेटर एलिसा स्लोटकिन द्वारा लोकतंत्र पर दिए गए बयान कि "लोकतंत्र आपके भोजन की थाली नहीं भरता", पर प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने कहा, "मेरे क्षेत्र में, लोकतंत्र वास्तव में भोजन की थाली भरता है. हम एक लोकतांत्रिक समाज हैं, और यही कारण है कि हम 80 करोड़ लोगों को पोषण सहायता प्रदान करते हैं. यह केवल भूख मिटाने की बात नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य और कल्याण से भी जुड़ा हुआ है."
"... Optimistic about the direction of our democracy, for us democracy has delivered..."
India's EAM Dr S Jaishankar at Munich Security Conference pic.twitter.com/WZIPw8ZePa
— Sidhant Sibal (@sidhant) February 15, 2025
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लोकतंत्र की स्थिति भिन्न हो सकती है. "कृपया यह न मानें कि लोकतंत्र का संकट एक सार्वभौमिक सत्य है. कुछ स्थानों पर यह अच्छे से काम कर रहा है और कुछ जगहों पर नहीं. जो स्थान संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें ईमानदारी से यह स्वीकार करना चाहिए कि वहां समस्याएं क्यों उत्पन्न हो रही हैं."
Started the #MSC2025 with a panel on ‘Live to Vote Another Day: Fortifying Democratic Resilience’. Joined PM @jonasgahrstore, @ElissaSlotkin and @trzaskowski_.
Highlighted India as a democracy that delivers. Differed with the prevailing political pessimism. Spoke my mind on… pic.twitter.com/h3GUmeglst
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 14, 2025
वैश्विक दक्षिण और लोकतंत्र की आकांक्षा
यह पूछे जाने पर कि क्या वैश्विक दक्षिण के देश अभी भी लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनाने की आकांक्षा रखते हैं, जयशंकर ने कहा, "हर बड़ा देश अपनी तरह से अनूठा होता है, लेकिन हम निश्चित रूप से लोकतंत्र को एक सार्वभौमिक आकांक्षा के रूप में देखते हैं. भारत ने स्वतंत्रता के बाद लोकतांत्रिक मॉडल को अपनाया, क्योंकि हमारा समाज स्वाभाविक रूप से बहुलवादी और परामर्शात्मक है."
Participated in the @AnantaAspen Session at MSC 2025. Theme was ‘Coming of Age: Evaluating Rising India’s Security Challenges’
Shared India’s thinking on global engagement, regional strategy and key bilateral partnerships. pic.twitter.com/w9449OZn6z
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 14, 2025
पश्चिमी देशों की दोहरी नीति पर सवाल
जयशंकर ने यह भी कहा कि एक समय था जब पश्चिमी देश लोकतंत्र को केवल अपनी विशेषता के रूप में देखते थे और वैश्विक दक्षिण में गैर-लोकतांत्रिक ताकतों को समर्थन देते थे. उन्होंने कहा, "यह अभी भी जारी है. मैं हाल की कुछ घटनाओं की ओर इशारा कर सकता हूं, जहां पश्चिम जिन मूल्यों को अपने देशों में प्राथमिकता देता है, उन्हें विदेशों में अपनाने से बचता है. यही कारण है कि वैश्विक दक्षिण के देश अन्य देशों की सफलताओं, कमियों और प्रतिक्रियाओं को ध्यान से देख रहे हैं."
In conversation with PM @jonasgahrstore, @ElissaSlotkin and @trzaskowski_ on the topic ‘Live to Vote Another Day: Fortifying Democratic Resilience’ at #MSC2025.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 14, 2025
भारत का लोकतांत्रिक मॉडल: पश्चिम के लिए एक उदाहरण
जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने अपनी सभी चुनौतियों के बावजूद लोकतांत्रिक मॉडल को अपनाए रखा. "जब आप हमारे क्षेत्र को देखते हैं, तो पाते हैं कि हम लगभग एकमात्र ऐसे देश हैं जिन्होंने लोकतंत्र को बनाए रखा. यदि पश्चिम वास्तव में लोकतंत्र की वैश्विक सफलता चाहता है, तो उसे अपने क्षेत्र से बाहर के सफल लोकतांत्रिक मॉडलों को भी अपनाना चाहिए."
एस. जयशंकर के इस वक्तव्य से यह स्पष्ट होता है कि भारत लोकतंत्र को केवल पश्चिमी देशों की विशेषता के रूप में नहीं देखता, बल्कि इसे सार्वभौमिक आकांक्षा मानता है. भारतीय लोकतंत्र की मजबूती, यहां की विशाल मतदाता भागीदारी और सामाजिक कल्याण योजनाओं को देखते हुए यह कहना उचित होगा कि भारत का लोकतांत्रिक मॉडल अन्य विकासशील देशों के लिए एक उदाहरण बन सकता है.