विवादित लेखिका तस्लीमा नसरीन सुसाइड करने का आसान तरीका बताकर मुश्किल में पड़ीं, ट्विटर पर हुई जमकर ट्रोल
तस्लीमा नसरीन (Photo Credits: Twitter|@taslimanasreen)

नई दिल्ली. अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहनेवाली मशहूर बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन (Taslima Nasreen) के हालिया ट्वीट ने उन्हें एक बार फिर सवालों के घेरे पर खड़ा कर दिया है. बताना चाहते है कि लेखिका तस्लीमा (Taslima Nasreen) ने इस ट्वीट में लोगों को सुसाइड करने का आसान तरीका बताया है.पिछले महीने भारत सरकार ने बांग्लादेश की विवादास्पद लेखिका तस्लीमा नसरीन (Taslima Nasreen) को पड़ोसी देश में रहने की अनुमति अवधि फिर एक साल के लिए बढ़ा दी है.

तस्लीमा (Taslima Nasreen) लिखती हैं, ‘सुसाइड करने के ऐसे बहुत सारे तरीके हैं, जिनकी वजह से इंसान को भयंकर दर्द नहीं झेलना पड़ेगा. तो फिर खुद को फांसी पर लटकाने, नसें काटने, किसी ऊंची बिल्डिंग या पुल से कूदने या फिर जहर खाने या किसी ट्रेन के सामने आ जाने की क्या जरूरत है? मॉर्फिन की अधिक डोज लें और शांति से मरें.’ यह भी पढ़े-बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन का रेजीडेंस परमिट एक साल के लिए बढ़ा, गृह मंत्रालय से अवधि बढ़ाने की लगाई थी गुहार

लेखिका तस्लीमा नसरीन (Taslima Nasreen) के इस आपत्तीजनक ट्वीट की वजह से उन्हें काफी ट्रोल किया जा रहा है. जानकारी के लिए बता दें कि मॉर्फिन एक पेन किलर मेडिसिन है लेकिन इसकी अधिक डोज लेने से इंसान की जान भी जा सकती है.

उनके के इस ट्वीट पर एक यूजर ने लिखा, ‘मरना हर हाल में दर्दनाक है. इसे जस्टिफाई करने का कोई सही तरीका नहीं है.’

एक दूसरे ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘ये एक सकारात्मक पोस्ट नहीं है. जिन लोगों ने सुसाइड करना तय किया वो दुनिया से चले गए. वो अब आपका ट्वीट नहीं पढ़ रहे हैं. लेकिन जो लोग इसे पढ़ रहे हैं वो इससे भ्रमित हो सकते हैं.’

हालांकि इन ट्रोल्स के जवाब में तस्लीमा नसरीन का कहना है कि, ‘मैं लोगों को मरने के उकसा नहीं रही हूं.’

गौरतलब है कि पिछले महीने भारत सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि स्वीडेन की नागरिक लेखिका तस्लीमा (Taslima Nasreen) के भारत में रहने की अनुमति अवधि जुलाई, 2020 तक के लिए बढ़ा दी गई. 56 वर्षीय लेखिका, फिजिशियन, नारीवादी और मानवाधिकार कार्यकर्ता के भारत में प्रवास का परमिट वर्ष 2004 से लगातार बढ़ाया जा रहा है.

बता दें कि कथित इस्लाम विरोधी विचार रखने के कारण कट्टरपंथी संगठनों से धमकियां मिलने के बाद तस्लीमा (Taslima Nasreen) ने साल 1994 में बांग्लादेश छोड़ दिया था.