
22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. यह एक ऐतिहासिक घटना है, जिसका इंतजार देश के लाखों राम भक्तों को लंबे समय से है. हालांकि, इस प्राण प्रतिष्ठा को लेकर विपक्ष लगातार विरोध कर रहा है. विपक्ष का कहना है कि मंदिर अभी पूरा नहीं बना है और इसका निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है. ऐसे में बीजेपी जल्दबाजी में आधे अधूरे मंदिर का उद्घाटन कर रही है.
विपक्ष ने उठाए सवाल
विपक्ष के इस विरोध को देखते हुए यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या राम मंदिर का निर्माण पूरा होने से पहले ही प्राण प्रतिष्ठा करना उचित है? इस सवाल का जवाब देने के लिए हम सोमनाथ मंदिर का उदाहरण ले सकते हैं. सोमनाथ मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. इस मंदिर का इतिहास भी राम मंदिर जैसा ही है. सोमनाथ मंदिर को भी कई बार विदेशी आक्रमणकारियों ने नष्ट किया है. 1951 में सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रयासों से सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया. ये भी पढ़ें- Alert: आपको राम मंदिर में VIP दर्शन के लिए चुना गया है! WhatsApp पर ऐसे मैसेज से रहे सावधान, VIDEO में देखें फ्रॉड से बचने का तरीका
आधे-अधुरे मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा
सोमनाथ मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा राजेंद्र बाबू के कर कमलों से 11 मई 1951 को हुई थी. सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने में कई साल लगे. 1965 में मंदिर पूर्णरुप से बनकर तैयार हुआ था. तब 13 मई 1965 को मंदिर में कलश प्रतिष्ठा हुई और कौशेय ध्वज चढ़ाया गया.
भारत का इतिहास जब-जब करवट ले रहा होता है, तब-तब कांग्रेस उस अवसर के साथ खड़े न होकर उसका बहिष्कार करती है।
कांग्रेस ने
- नये संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार किया।
- जब GST लागू हुआ तो उसका भी बहिष्कार किया।
- G20 के समय दुनिया के सबसे शक्तिशाली 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत आए… pic.twitter.com/aLVcJ1C1KA
— Dr. Sudhanshu Trivedi (@SudhanshuTrived) January 11, 2024
सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन में नहीं पहुंचे जवाहरलाल नेहरू
बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस पर 'राम विरोधी' कहकर तंज कसा और आरोप लगाया कि कैसे देश के पहले प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता जवाहरलाल नेहरू सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण/ उद्घाटन कार्यक्रम में नहीं पहुंचे थे. बीजेपी का कहना है कि नेहरू ने देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने नेहरू की अनदेखी की और सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लिया था.
क्यों नाराज थे नेहरू
बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने जवाहर लाल नेहरू का जिक्र किया और कहा- 'जब सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी तो जवाहरलाल नेहरू जी ने 24 अप्रैल, 1951 को उस समय सौराष्ट्र के प्रमुख को पत्र लिखा था कि इस कठिन समय में इस समारोह के लिए दिल्ली से मेरा आना संभव नहीं है. मैं इस पुनरुत्थानवाद से बहुत परेशान हूं, मेरे लिए बहुत कष्टकारक है कि मेरे राष्ट्रपति, मेरे कुछ मंत्री और आप सोमनाथ के इस समारोह से जुड़े हुए हैं और मुझे लगता है कि ये मेरे देश की प्रगति के अनुरूप नहीं है, इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे.'
पीएम मोदी ने भी कसा था तंज
2017 में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सौराष्ट्र तीर्थ यात्रा पर तंज कसा था. पीएम मोदी ने कहा था- 'जब सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का काम शुरू किया तो नेहरू नाखुश थे. जब राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह में आने वाले थे, तब आपके (राहुल गांधी के) परदादा नेहरू ने उन्हें एक पत्र लिखा था. पीएम मोदी ने कहा, बहादुर लोगों की यह भूमि उन लोगों को माफ नहीं करेगी, जिन्होंने सोमनाथ मंदिर के खिलाफ काम किया है.'