मुंबई, 1 नवंबर: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 9 पैसे गिरकर बुधवार को अब तक के सबसे निचले स्तर 83.33 पर पहुंच गया. विदेशी फंडों ने शेयर बाजारों से पैसा निकालना जारी रखा और मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के चलते तेल की कीमतों में इजाफा हुआ.
छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर सूचकांक पर अमेरिकी ग्रीनबैक भी मजबूत हुआ, जो 0.20 प्रतिशत बढ़कर 106.87 पर पहुंच गया. बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 83.26 पर खुला और निचले स्तर 83.35 तक गिर गया. हालांकि, कुछ उतार-चढ़ाव के बाद, यह आखिरकार पिछले दिन के मुकाबले 9 पैसे कम होकर 83.33 पर अब तक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ. 2000 Notes: रिजर्व बैंक में नहीं लौटे 2000 के सभी नोट, लोग अभी भी दबाए बैठे हैं 10 हजार करोड़ रुपये
भारतीय रुपए को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अमेरिकी बांड पर अधिक यील्ड के कारण भारतीय शेयर बाजारों से पैसा बाहर जा रहा है और वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने डॉलर की मांग बढ़ा दी है.
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, हालांकि आरबीआई अपने भंडार से अमेरिकी डॉलर जारी कर रुपए को स्थिर करने में कुछ हद तक सफल रहा है, लेकिन यह एक हद से आगे नहीं जा सकता. हाल के हफ्तों में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार गिर रहा है.
रुपए को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.29 से नीचे गिरने से रोकने के लिए आरबीआई ने अक्टूबर में विदेशी मुद्रा बाजार में लगातार हस्तक्षेप किया.
शुक्रवार को जारी आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 20 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.36 अरब डॉलर घटकर 583.53 अरब डॉलर रह गया.
पिछले सप्ताह हालांकि देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.15 अरब डॉलर बढ़ गया था, जिसने पिछले पांच हफ्तों में लगातार गिरावट को रोक दिया.
6 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14.166 अरब डॉलर गिरकर पांच महीने के निचले स्तर 584.74 अरब डॉलर पर आ गया था. ताजा गिरावट के साथ, विदेशी मुद्रा भंडार और भी गिर गया है.
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट से आरबीआई के पास रुपए को स्थिर करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने की गुंजाइश कम है, जिससे भारतीय मुद्रा कमजोर हो जाएगी.