RBI ने इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन नीलेकणि को बनाया डिजिटल पेमेंट कमेटी का चेयरमैन, 90 दिनों में सौंपनी होगी रिपोर्ट
नंदन नीलेकणि (Photo Credit-Facebook)

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल पेमेंट को बेहतर तरीके से देश में लागू करने और बढ़ाने के लिए नई कमेटी बनाई. इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन निलेकणि (Nandan Nilekani) को इस कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया गया है. निलेकणि की अध्यक्षता में कमेटी को 90 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. बता दें कि देश में आधार को लागू कराने का श्रेय नंदन निलेकणि को ही जाता है. वे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के भी अध्यक्ष रह चुके हैं. नीलेकणि के अलावा कमिटी में सीआईआईई के चीफ इनोवेशन ऑफिसर संजय जैन, विजया बैंक के पूर्व सीईओ किशोर सांसी, मिनिस्ट्री ऑफ इन्फोरमेशन के मुख्य सचिव अरुणा शर्मा को शामिल किया गया है.

पाच सदस्यों वाली इस कमेटी का काम देश में डिजिटल पेमेंट को तेजी से आगे बढ़ाना है. रेग्युलेटर को क्या कदम उठाने चाहिए. ग्राहकों के पैसों को सेफ रखने के लिए क्या करना होगा. इंटरनेट बैंकिंग को बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठाने होंगे यह कमेटी इन्हीं विषयों पर काम करेगी.

कौन हैं नंदन निलेकणि

नंदन नीलेकणि को मुख्य पहचान आधार से मिली है. उन्होंने ही देश में आधार लागू करवाया है. नीलेकणि ने देश के हर नागरिक को एक विशिष्ठ पहचान संख्या या यूनिक आइडेंटीफिकेशन नंबर प्रदान करने की भारत सरकार के योजना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया. भारत सरकार ने उन्हें 2006 में विज्ञान और अभियांत्रिकी के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया है. इसके अलावा उन्हों टोरंटो यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट ऑफ लॉ की उपाधि मिली है. दुनिया की जानीमानी पत्रिका टाइम मैगजीन ने नीलेकणि को दुनिया के 100 ऐसे लोगों में शामिल किया, जो सबसे ज्यादा प्रेरणादायक थे. 2006 के वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में नीलेकणि सबसे युवा उद्यमी थे, जो दुनिया 20 टॉप ग्लोबल लीडर्स में शामिल हुए थे.

1982 में इंफोसिस की संस्थापना करने वाले नीलेकणि मार्च 2002 से जून 2007 तक कंपनी के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक के तौर पर काम करते रहे और फिर उन्हें कंपनी बोर्ड का सह अध्यक्ष नियुक्त किया गया. 2007 में उनकी सैलरी 203.545 अमेरिकी डॉलर थी. उन्हें कई सम्मान से सम्मानित किया गया है. इसके अलावा नीलेकणि एक समय राजनीति में भी सक्रीय थे. 2014 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर बेंगलुरु की साउथ सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि, इस चुनाव में उन्हें बीजेपी के अनंत कुमार से हार का सामना करना पड़ा था. जिसके बाद वे 2015 से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं.