दिल्ली: दशकों लंबे विद्रोह के बाद असम में एक ऐतिहासिक क्षण आया है, जब संयुक्त मुक्ति मोर्चा असम (ULFA) के वार्ता समर्थक गुट ने केंद्र और असम सरकार के साथ त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हुए इस समझौते को असम में हिंसा के अंत और स्थायी शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
उल्फा, जिसका गठन 1979 में एक स्वतंत्र असम के लिए सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व करने के लिए हुआ था, लंबे समय से भारत सरकार के खिलाफ विद्रोही गतिविधियों में संलिप्त था. हालांकि, 2011 में संगठन के एक गुट ने शांति वार्ता का रास्ता अपनाया और केंद्र सरकार के साथ बातचीत शुरू की. इन वार्ताओं के बाद ही आज का यह ऐतिहासिक समझौता संभव हुआ है.
#WATCH | Delhi: United Liberation Front of Assam (ULFA)’s pro-talks faction signed a tripartite Memorandum of Settlement with the Centre and the Assam government in the presence of Union Home Minister Amit Shah. pic.twitter.com/NRouYpTbxV
— ANI (@ANI) December 29, 2023
समझौते की मुख्य शर्तों में शामिल हैं:
- उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के नेता और कार्यकर्ता हिंसा का त्याग करेंगे और मुख्यधारा में शामिल होंगे.
- केंद्र और असम सरकार असम के विकास और सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उपाय करेंगे.
- स्वदेशी समुदायों के लिए भूमि अधिकारों और अन्य सामाजिक-आर्थिक मुद्दों का समाधान किया जाएगा.
इस समझौते का असम के विभिन्न क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है. सबसे महत्वपूर्ण, यह राज्य में दशकों से चली आ रही हिंसा और अशांति को समाप्त करने का मार्ग प्रशस्त करेगा. साथ ही, इससे असम के विकास और समृद्धि के लिए नए अवसर खुलेंगे.