डॉनल्ड ट्रंप ने धमकी दी है कि अमेरिका पनामा नहर पर नियंत्रण वापस ले सकता है. इस बयान पर पनामा के राष्ट्रपति ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.रविवार को फीनिक्स में ‘टर्निंग पॉइंट यूएसए अमेरिका फेस्ट' के दौरान एक गरमागरम भाषण में, अमेरिका के अगले राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने संकेत दिया कि उनका प्रशासन पनामा नहर पर फिर से नियंत्रण पाने के लिए कदम उठा सकता है. उनके इस बयान को उनके समर्थकों की जोरदार तालियों का समर्थन मिला. लेकिन यह बयान पनामा के साथ कूटनीतिक विवाद का कारण बन गया है और अमेरिका-पनामा संबंधों पर इसके प्रभावों को लेकर व्यापक चर्चा छिड़ गई है.
ट्रंप ने 20,000 से अधिक कंजर्वेटिव कार्यकर्ताओं की भीड़ को संबोधित करते हुए, पनामा नहर से गुजरने वाले जहाजों पर लगाए जाने वाले "ऊंचे" शुल्क को "बेतुका" करार दिया. अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली इस नहर का नियंत्रण 31 दिसंबर 1999 से पनामा के पास है. यह 1977 में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा हस्ताक्षरित एक संधि के तहत सौंपा गया था.
ट्रंप ने कहा, "हमें पनामा नहर के जरिए लूटा जा रहा है. यह नहर मूर्खतापूर्वक सौंप दी गई थी और अब वे हमसे अत्यधिक शुल्क वसूल रहे हैं." ट्रंप ने सुझाव दिया कि अगर पनामा ने शुल्क कम नहीं किया तो अमेरिका को नहर वापस मांगने पर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा, "अगर इस उदार कदम की नैतिक और कानूनी प्राथमिकताओं का पालन नहीं किया गया, तो हम मांग करेंगे कि पनामा नहर को तुरंत, बिना किसी सवाल के, पूरी तरह अमेरिका को लौटाया जाए." हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि ऐसा कदम कैसे उठाया जा सकता है.
ट्रंप के इस बयान के साथ उनकी ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट भी आई. इसमें एक नहर के ऊपर अमेरिकी झंडे की तस्वीर के साथ लिखा था, "वेलकम टु द युनाइटेड स्टेट्स कैनाल!"
पनामा की प्रतिक्रिया
पनामा के राष्ट्रपति होजे राउल मुलिनो ने तुरंत ट्रंप के बयान की निंदा की. एक वीडियो में उन्होंने कहा, "पनामा नहर का हर वर्ग मीटर पनामा का है और हमेशा पनामा का रहेगा." उन्होंने जोर देकर कहा कि नहर की संप्रभुता और स्वतंत्रता पर "किसी तरह का समझौता" नहीं हो सकता.
मुलिनो ने नहर शुल्क का भी बचाव किया और कहा कि यह संचालन की लागत, आपूर्ति और मांग के आधार पर विशेषज्ञों द्वारा तय किया जाता है. उन्होंने कहा, "ये शुल्क मनमाने तरीके से तय नहीं किए जाते." उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस शुल्क से मिलने वाले राजस्व का उपयोग नहर के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए किया जाता है. मुलिनो ने कहा, "पनामावासी कई मुद्दों पर अलग राय रख सकते हैं, लेकिन जब बात हमारी नहर और हमारी संप्रभुता की हो, तो हम सब पनामाई झंडे के नीचे एकजुट हो जाते हैं."
इतिहास और रणनीतिक महत्व
पनामा नहर को 20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका ने बनाया था ताकि उसकी दोनों तटों के बीच वाणिज्यिक और सैन्य आवाजाही को सुगम बनाया जा सके. यह जलमार्ग हर साल 14,000 से अधिक जहाजों को गुजरने की अनुमति देता है और वैश्विक समुद्री व्यापार का 2.5 फीसदी हिस्सा संभालता है. यह एशिया से अमेरिका के आयात और तरलीकृत प्राकृतिक गैस जैसे उत्पादों के निर्यात के लिए भी महत्वपूर्ण है.
1977 में हुई कार्टर-टोरेयोस संधि के तहत, अमेरिका ने धीरे-धीरे नहर का नियंत्रण पनामा को सौंपा, जो 1999 में पूरी तरह पनामाई प्रशासन के अधीन हो गया. हालांकि, इस प्रक्रिया के दौरान कुछ विवाद हुए, लेकिन इसे अमेरिका-पनामा संबंधों में एक ऐतिहासिक कदम माना गया. अब, यह नहर पनामा की वार्षिक आय का लगभग पांचवां हिस्सा देती है और देश की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है.
ट्रंप की व्यापक विदेश नीति
पनामा नहर पर ट्रंप के बयान उनकी "अमेरिका फर्स्ट" नीति के अनुरूप हैं, जिसमें लंबे समय से चले आ रहे अंतरराष्ट्रीय समझौतों को पुनर्गठित करने या चुनौती देने की मांग शामिल रही है. अपने पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने डेनमार्क से ग्रीनलैंड खरीदने का प्रस्ताव दिया था, जिसे डेनिश अधिकारियों ने सिरे से खारिज कर दिया.
फीनिक्स रैली में ट्रंप ने अमेरिकी सीमाओं को मजबूत करने, मध्य पूर्व और यूक्रेन में संघर्ष समाप्त करने और "अमेरिका के स्वर्ण युग" को वापस लाने का वादा किया. उन्होंने अपनी नई प्रशासनिक टीम में कुछ नियुक्तियों की घोषणा भी की, जिनमें स्टीफन मिरन को काउंसिल ऑफ इकोनॉमिक एडवाइजर्स का प्रमुख और कैलिस्टा गिंगरिच को स्विट्जरलैंड में अमेरिकी राजदूत बनाया गया.
कूटनीतिक और कानूनी प्रभाव
ट्रंप के बयान, भले ही उनके समर्थकों को उत्साहित कर रहे हों, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत उनकी व्यावहारिकता पर सवाल उठा रहे हैं. पनामा को नहर का नियंत्रण देने वाली संधियों में इसे वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है.
पनामा सिटी में स्थित एक राजनीतिक विश्लेषक कार्लोस मेंडोजा ने कहा, "यह देखना मुश्किल है कि अमेरिका नहर को कैसे वापस ले सकता है बिना, अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किए और एक महत्वपूर्ण सहयोगी के साथ अपने संबंधों को नुकसान पहुंचाए."
इसके अलावा, ट्रंप की इस चेतावनी ने भी तनाव बढ़ा दिया है कि नहर के संचालन पर चीन का संभावित प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि, हांगकांग स्थित सीके हचिसन होल्डिंग्स की एक सहायक कंपनी नहर के प्रवेश द्वारों पर बंदरगाहों का प्रबंधन करती है, लेकिन नहर का संचालन पूरी तरह पनामा के नियंत्रण में है.
प्रतिक्रिया और परिणाम
पनामा नहर प्राधिकरण ने ट्रंप के बयानों पर सीधे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. हालांकि, स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पनामा के राजनीतिक परिदृश्य में इसे उनकी संप्रभुता पर हमला माना जा रहा है.
दूसरी ओर, ट्रंप के समर्थकों का कहना है कि उनका रुख अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए है. ट्रंप की परिवर्तन टीम के एक प्रवक्ता ने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप सिर्फ उचित व्यवहार की मांग कर रहे हैं."
जैसे-जैसे ट्रंप जनवरी में अपना कार्यकाल संभालने की तैयारी कर रहे हैं, उनके पनामा नहर पर दिए गए बयान उनके आने वाले कार्यकाल की आक्रामक और विवादास्पद विदेश नीति की झलक पेश कर रहे हैं.
वीके/ (रॉयटर्स, एपी, डीपीए)