जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) की कांग्रेस (Congress) की अगुवाई वाली सरकार में घमासान कम होने का नाम नहीं ले रहा है. गहलोत सरकार के भीतर कलह के बढ़ते संकेतों पर कांग्रेस आलाकमान की चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. हालांकि कई दिग्गज कांग्रेसी डैमेज कंट्रोल में जुटे हुए है. इस बीच राजस्थान की सियासत के लिए आज का दिन बेहद अहम माना जा रहा है. दरअसल निर्दलीय और बसपा (बहुजन समाज पार्टी) से कांग्रेस में आए विधायक बुधवार को जयपुर में अहम बैठक करने वाले है. बताया जा रहा है कि इस बैठक में गहलोत-पायलट में चल रहे टकराव को लेकर विधायक चर्चा करेंगे और अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे. BJP सांसद रीता बहुगुणा जोशी के दावे पर सचिन पायलट का कड़ा प्रहार, कहा 'मुझसे बात करने की उनकी हिम्मत नहीं है'
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई वाली सरकार को 13 निर्दलीय विधायक और बसपा के छह विधायकों का समर्थन प्राप्त हैं. गंगानगर से निर्दलीय विधायक राजकुमार गौर (Rajkumar Gaur) ने कहा, 'लंबे समय से कोई बैठक नहीं हुई, इसलिए यह बैठक निर्धारित की गई है. सभी विधायक बैठक करेंगे और मौजूदा राजनीतिक हालात पर भी चर्चा होगी.”
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब राज्य सरकार ने शहरी स्थानीय निकायों में बहुप्रतीक्षित राजनीतिक नियुक्तियां शुरू कर दी हैं और राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार पर भी विचार कर रही है. इस दौरान सीएम अशोक गहलोत और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश कांग्रेस प्रमुख सचिन पायलट (Sachin Pilot) के खेमे के नेताओं के बीच जमकर बयानबाजी हो रही है.
बगावत के 11 महीने बाद भी नहीं निकला हल
इस संदेश ने अटकलों को हवा दी कि पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के खेमे के मद्देनजर गहलोत राजनीतिक क्वारंटाइन से गुजर रहे हैं, क्योंकि राज्य नेतृत्व के खिलाफ बगावत के 11 महीने बाद वह फिर से उसी राह पर चल पड़े हैं और उनसे पहले किए गए वादों को जल्दी से लागू करने की मांग कर रहे हैं. वे जल्द से जल्द कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की मांग कर रहे हैं.
कांग्रेस के एक नेता ने कहा, यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री अगले दो महीनों के लिए कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में देरी करना चाहते हैं. ऐसा इसलिए है, क्योंकि वह यह संदेश नहीं देना चाहते हैं कि उन्होंने पायलट के दबाव में आकर नियुक्तियां कीं.
सचिन पायलट को कांग्रेस ने बताया मूल्यवान
कांग्रेस ने सचिन पायलट को पार्टी के लिए मूल्यवान करार दिया है, लेकिन पायलट द्वारा अपने विधायकों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ विद्रोह करने और प्रियंका गांधी वाड्रा के हस्तक्षेप के बाद लौटने के लगभग एक साल बाद, अभी तक कोई मुद्दा हल नहीं हुआ है. साथ ही उनके समर्थक मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया गया है. पूर्व उपमुख्यमंत्री के समर्थक उनकी समस्याओं को सुनने के लिए पार्टी पर दबाव बना रहे हैं.
सचिन पायलट से हाल ही में राजस्थान के कांग्रेस महासचिव प्रभारी अजय माकन और प्रियंका गांधी ने बात की. इस दौरान पायलट ने उनसे किए गए वादों का समाधान न होने का मुद्दा उठाया. पायलट ने कहा, "अब 10 महीने हो गए हैं. मुझसे कहा गया था कि समिति द्वारा त्वरित कार्रवाई की जाएगी, लेकिन अब आधा कार्यकाल समाप्त हो गया है, और उन मुद्दों को हल नहीं किया गया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पार्टी के इतने सारे लोग हैं कार्यकतार्ओं ने हमें जनादेश दिलाने के लिए अपना सब कुछ दे दिया, उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है."
पूर्व बसपा विधायक भी मांग रहे हक
बहरहाल, मुद्दा कांग्रेस आलाकमान का नहीं बल्कि मुख्यमंत्री का है जो पायलट के करीबी नेताओं और विधायकों को जगह नहीं देना चाहते. सचिन पायलट खेमे द्वारा उनकी राजनीतिक और मंत्री नियुक्तियों की मांगों को पूरा करने की मांग के बाद राज्य की सियासत में ट्विस्ट आ गया है. लगभग दो साल पहले कांग्रेस में शामिल हुए बसपा विधायकों ने भी पिछले साल के विद्रोह के बाद राजस्थान सरकार को बचाने के लिए अपने उचित इनाम की मांग करते हुए कहा कि अगर वे वहां नहीं होते, तो अशोक गहलोत की सरकार पहली पुण्यतिथि मना रही होती. इन विधायकों ने गहलोत पर भरोसा जताया है.
लेकिन कांग्रेस के भीतर के सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी राज्य में मुद्दों का समाधान चाहती हैं लेकिन गहलोत की कीमत पर नहीं चाहती हैं. वह मामूली और बढ़िया समायोजन चाहती हैं ताकि वह उचित समय पर हस्तक्षेप कर सकें. (एजेंसी इनपुट के साथ)