BJP सांसद रीता बहुगुणा जोशी के दावे पर सचिन पायलट का कड़ा प्रहार, कहा 'मुझसे बात करने की उनकी हिम्मत नहीं है'
सचिन पायलट और रीता बहुगुणा जोशी (File Photo)

जयपुर: कांग्रेस नेता सचिव पायलट (Sachin Pilot) को लेकर बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी (Rita Bahuguna Joshi) के कथित बयान ने राजस्थान (Rajasthan) की सियासत में उफान मचा दिया है. हालांकि कांग्रेस के दिग्गज नेता और राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने रीता बहुगुणा के बयान का खंडन किया है. दरअसल खबरें आईं थी कि बीजेपी नेता की सचिन पायलट से बात हुई है और यह भी कहा जा रहा था कि सचिन पायलट बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. पायलट के बयान से राजस्थान की राजनीति में फिर तेज हुई सरगर्मी

इस सियासी घटनाक्रम को लेकर सचिन पायलट ने शुक्रवार को कहा “रीता बहुगुणा जोशी ने जो कहा कि उन्होंने सचिन से बात की है. हो सकता है उन्होंने सचिन तेंदुलकर से बात की हो. मुझसे बात करने की उनकी हिम्मत नहीं है.” हालांकि राजस्थान की गहलोत सरकार के बीच घमासान कम होने का नाम नहीं ले रहा है. गहलोत सरकार के भीतर कलह के बढ़ते संकेतों पर कांग्रेस आलाकमान की चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

वास्तविकता यह है कि इससे कांग्रेस खेमे में चल रहे विभिन्न गुटों के बीच मतभेदों का समाधान नहीं हुआ है और पार्टी के साथ-साथ पार्टी कार्यकर्ताओं की किस्मत अधर में लटकी हुई है. छह बार के विधायक हेमाराम चौधरी ने 22 मई को कांग्रेस सरकार से इस्तीफा दे दिया और वह अपना इस्तीफा वापस लेने के लिए अनिच्छुक दिख रहे हैं. एक अन्य विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने इस्तीफा देने की धमकी दी है. दोनों प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के गुट से जुड़े हैं.

इस बीच गहलोत खेमा अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पायलट के खेमे से विधायकों के अवैध शिकार में व्यस्त नजर आ रहा है. पायलट खेमे के दो ऐसे विधायक इंद्रराज गुजर और पीआर मीणा हैं, जिन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के काम की तारीफ ऐसे समय में की थी, जब पायलट के अन्य अनुयायी सरकार के काम पर सवाल उठा रहे थे. कलह की कहानी यहीं खत्म नहीं होती है क्योंकि गहलोत के बेहद करीबी माने जाने वाले दो मंत्रियों के बीच हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक के दौरान कथित तौर पर कहासुनी भी हुई थी.

कांग्रेस की राज्य इकाई, प्रदेश कांग्रेस कमेटी जमीन पर कमजोर दिखाई दे रही है, पिछले साल जुलाई से 39 सदस्यीय टीम के साथ काम कर रही है क्योंकि राज्य नेतृत्व के खिलाफ पायलट के खुले विद्रोह के बाद सभी स्थानीय कांग्रेस समितियों को भंग कर दिया गया था. फोन टैपिंग के मोर्चे पर चिंतित पार्टीजन इस बात से परेशान हैं कि उन्हें जीत का ईनाम नहीं मिला.

एक मंत्री ने बताया कि एक और विद्रोह के डर से राजनीतिक नियुक्तियों में देरी हो रही है. उन्होंने आगे कहा, अगर हम 10 कार्यकर्ताओं को एक पद देते हैं, तो बाकी 90 नखरे करेंगे और एक और विद्रोह हो सकता है जिसे हम महामारी के बीच अभी नहीं संभाल सकते हैं.

एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा कि पिछले साल जुलाई में अनुभवी नेताओं अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल और अजय माकन पायलट खेमे की शिकायतों को देखेंगे. पटेल का निधन हो गया, लेकिन समिति के अन्य दो सदस्य शिकायतों को हल करने में सक्रिय नहीं हैं. इस बीच, राज्य पीसीसी प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने आईएएनएस को बताया कि कोविड की दूसरी लहर के बाद मामला शांत होने पर पार्टी राजनीतिक नियुक्तियां देने के लिए प्रतिबद्ध है. राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने पहले पिछले साल दिसंबर में और फिर मार्च में राजनीतिक नियुक्तियों की घोषणा की थी, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका.

हालांकि, पायलट का कहना है कि अभी नियुक्तियों में देरी और कैबिनेट विस्तार का कोई कारण नहीं है. इस बीच सभी की निगाहें इन मुद्दों को हल करने के लिए हाईकमान की पिचों पर टिकी हुई हैं या फिर हर साल पार्टी में आने वाले नए गुट कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा रहे हैं, जो पंजाब जैसे अन्य राज्यों में भी टेस्ट के समय का सामना कर रहा है.