Punjab Politics: पंजाब कांग्रेस में अपने ही बन रहे बागी, नहीं खत्म किए मतभेद तो आगामी विधानसभा चुनाव में बेड़ा गर्क होना तय!
कैप्टन अमरिंदर सिंह, राहुल गांधी और नवजोत सिंह सिद्धू (Photo Credits: Facebook)

चंडीगढ़: पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में मतभेद के सुर थम नहीं रहे हैं. वरिष्ठ नेता अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) के पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद और 58 वर्षीय नवनियुक्त सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के साथ दो उपमुख्यमंत्री बनाये जाने के बावजूद कांग्रेस का संकट खत्म होता नहीं दिख रहा है. खबर है कि पंजाब के पूर्व अध्यक्ष और सूबे के कद्दावर नेता सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) पार्टी के रुख से बहुत नाराज है. जाखड़ राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) से मिलने के लिए दिल्ली पहुंच चुके है. इस बीच पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य के पार्टी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने ऐलान किया है कि वह विधानसभा चुनाव में सिद्धू को हराने की हर मुमकिन कोशिश करेंगे और हर बलिदान देने के लिए तैयार है. उन्होंने सिद्धू को पंजाब के लिए एक खतरा बताते हुए राहुल और प्रियंका पर भी निशाना साधा और उन्हें अनुभवहीन कहा है.

कांग्रेस आलाकमान को चरणजीत सिंह चन्नी के राज्य का सीएम चुने जाने के बाद उम्मीद थी कि असंतोष और असहमति के सुर कम से कम कुछ समय के लिए थम जाएंगे, लेकिन ऐसा होता लग नहीं रहा है. दरअसल पंजाब प्रभारी हरीश रावत के एक बयान के बाद पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ नाराज हो गए और खुलकर उनकी आलोचना कर रहे है. सिद्धू को लेकर एआईसीसी महासचिव रावत का बयान चौंकाने वाला: जाखड़

जाखड़ ने इसी हफ्ते एक ट्वीट में कहा, "चरणजीत सिंह चन्नी के सीएम पद के लिए शपथ ग्रहण वाले दिन रावत का यह बयान कि चुनाव सिद्धू के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, चौंकाने वाला है. यह न केवल सीएम के अधिकार को कम कर सकता है, बल्कि यह इस पद पर उनके चुनाव पर भी सवाल उठाता है."

दरअसल रावत ने एक बयान में कहा था कि हालांकि राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चेहरे को लेकर निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष लेंगी, लेकिन मौजूदा स्थितियों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तहत सीएम कैबिनेट के साथ चुनाव लड़ा जाएगा, जिसके प्रमुख सिद्धू बेहद लोकप्रिय हैं.

उधर, डैमेज कंट्रोल में जुटी कांग्रेस ने हरीश रावत के बयान का खंडन करते हुए कहा कि चुनाव मुख्यमंत्री और राज्य पार्टी अध्यक्ष दोनों के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. उधर, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कहा पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने पंजाब और देश के दलित समुदाय का अपमान किया है.

कांग्रेस नेतृत्व की नजर में पंजाब का मुद्दा फिलहाल भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन राज्य के नेता चुनाव तक खुद को मुखर करेंगे और सिद्धू की राह आसान नहीं होगी. विधायक दल की बैठक में सिद्धू विधायकों में अंतिम पसंद थे जबकि जाखड़ और रंधावा को बहुमत का समर्थन था. रंधावा इस मौके को नहीं भुना सके, क्योंकि सिद्धू एक जाट सिख को सीएम के रूप में नियुक्त करने पर अड़े थे और उन्हें जाखड़ पर आपत्ति थी. हालांकि कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी ने मुख्यमंत्री बनने से इनकार कर दिया और वह रंधावा का समर्थन कर रही थीं, लेकिन इन सबके बीच आश्चर्यजनक रूप से चन्नी का नाम सामने आया और आगामी चुनाव से पहले उन्हें पंजाब की जिम्मेदारी सौंपी गई.