महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी को उस समय एक बड़ा झटका लगा जब वरिष्ठ नेता मुहम्मद आरिफ 'नसीम' खान ने पार्टी के चुनाव प्रचार समिति से इस्तीफा दे दिया. खान ने राज्य की चुनावी सूची में मुस्लिम उम्मीदवारों की अनदेखी पर असंतोष जताते हुए यह कदम उठाया है.
मुस्लिम प्रतिनिधित्व की कमी पर नाराज़गी
खान ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में अपना असंतोष व्यक्त किया और आगामी लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार अभियान से दूर रहने का फैसला किया. उन्होंने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों के लिए विपक्षी महा विकास आघाड़ी (MVA) गठबंधन द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों में मुस्लिम प्रतिनिधित्व की कमी पर प्रकाश डाला. खान ने अपने पत्र में लिखा, "महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों में से MVA ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा है."
मुस्लिम समुदाय में निराशा
पूर्व राज्य मंत्री ने अल्पसंख्यक समुदाय से किसी भी उम्मीदवार को नामांकित करने में कांग्रेस की विफलता पर मुस्लिम संगठनों, नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच निराशा व्यक्त की. उन्होंने कई लोगों की भावनाओं को दोहराते हुए सवाल किया, "कांग्रेस को मुस्लिम वोट चाहिए, उम्मीदवार क्यों नहीं?"
समावेशी विचारधारा से विचलन का आरोप
60 वर्षीय खान ने चुनाव प्रचार से हटने के साथ ही महाराष्ट्र कांग्रेस अभियान समिति से इस्तीफा देने की घोषणा की. मुंबई उत्तर मध्य से चुनाव लड़ने की उनकी आकांक्षाओं के बावजूद, पार्टी ने शहर इकाई अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ को इस निर्वाचन क्षेत्र के लिए चुना. खान का मोहभंग इस बात से उपजा है कि उन्हें लगता है कि कांग्रेस अपनी समावेशी विचारधारा से भटक गई है.
कांग्रेस के लिए चिंता का विषय
नसीम खान का इस्तीफा कांग्रेस के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है. मुस्लिम समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ है और उनके इस्तीफे से पार्टी को चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है.