CAA पर बवाल: केरल में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और सरकार के बीच ठनी, मुख्य सचिव से मांगा जवाब
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Photo Credit-ANI)

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर जारी बवाल के बीच केरल में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Governor Arif Mohammad Khan) और केरल सरकार आमने-सामने आ गई है. राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान जहां नागरिकता कानून के समर्थन में खड़े हैं तो केरल सरकार इसका विरोध कर रही है. सीएए का विरोध करने वाली केरल की सरकार पहले ही कानून को लागू करने से साफ इनकार कर चुकी है. इसके बाद कानून को लेकर केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई. पूरे मामले राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केरल के मुख्य सचिव को तलब कर उनसे जवाब मांगा है. न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी.

न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार केरल सरकार के नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नाराजगी जताई है. उन्होंने पिनाराई विजयन सरकार के इस कदम पर आपत्ति जताई है और इस बाबत राज्य सरकार के मुख्य सचिव से सफाई मांगी है. इससे पहले गुरुवार को उन्होंने कहा था, सरकार के फैसले के बारे में अखबारों और मीडिया के लोगों से पता चला.

यह भी पढ़ें- सीएए पर विरोध के बीच केरल के शख्स ने आरटीआई डालकर पीएम नरेंद्र मोदी के भारतीय नागरिक होने का मांगा सबूत.

गवर्नर और सरकार आमने-सामने 

कानून और संविधान से ऊपर कोई नहीं

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राज्यपाल ने कहा, "उन्हें सरकार या किसी व्यक्ति के कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने पर आपत्ति नहीं है और सरकार को उनसे मंजूरी भी लेने की जरूरत नहीं है. गवर्रानर ने नाराजगी जताते हुए कहा राज्य के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर होने के नाते उन्हें सूचित किया जाना चाहिए था. राज्यपाल ने इसे प्रोटोकॉल का उल्लंघन बताया था. उन्होंने कहा था, कोई भी कानून और संविधान से ऊपर नहीं है.

इससे पहले केरल सरकार ने नागरिकता कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया था. जिसका राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने विरोध किया था. राज्यपाल ने कहा था, विधानसभा ऐसे किसी भी कानून पर चर्चा नहीं कर सकती जो उसके संवैधानिक न्यायक्षेत्र में नहीं आता है. केरल की लेफ्ट सरकार ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पास कर इस कानून को वापस लेने की मांग की है और अपने राज्य में इसे नहीं लागू करने का फैसला किया है. केरल सरकार इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.