रामायण-महाभारत को हिंसक बताने वाले सीताराम येचुरी पर केस दर्ज
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी (Photo Credits: Twitter)

चेन्नई: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) के पांचवें चरण का चुनाव प्रचार शनिवार शाम समाप्‍त हो गया. इस चुनावी मौसम के बीच नेताओं द्वारा विवादित बयान देने का सिलसिला बदस्तूर जारी है. इसी कड़ी में मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) महासचिव सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) पर एफआईआर दर्ज की गई है. हाल ही में येचुरी ने रामायण और महाभारत पर विवादित बयान देते हुए बीजेपी और आरएसएस (राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ) पर निशाना साधा था.

जानकारी के मुताबिक सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी के खिलाफ एफआईआर योगगुरु बाबा रामदेव सहित कई संतों द्वारा की गई शिकायत के बाद दर्ज की गई है. हरिद्वार में बाबा रामदेव सहित कई संतों ने येचुरी के बयान पर विरोध जताते हुए एसएसपी से शिकायत की थी.

माकपा नेता येचुरी ने शुक्रवार को कहा था कि हिंदू शासकों को भी हिंसा से परहेज नहीं रहा है, और यह कहना गलत है कि हिंदू हिंसक नहीं हो सकता. भोपाल में संयुक्त रूप से आयोजित एक परिचर्चा में येचुरी ने कहा, "यह कहना अनुचित है कि हिन्दू कोई हिंसा नहीं कर सकता, जबकि हमारे महाकाव्यों से लेकर इतिहास तक में ढेरों उदाहरण हैं जो यह बताते हैं कि हिन्दू शासकों को भी हिंसा से कोई परहेज न रहा है. लेकिन ऐसा कह कर यह सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है कि जो दूसरे धर्म के लोग हैं, वे हिंसक हैं."

येचुरी ने कहा कि महाभारत और रामायण दोनों में हिंसा का जिक्र है, लेकिन प्रचारक इन ग्रंथों का उदाहरण तो देते हैं लेकिन तब भी वे कहते हैं कि हिंदू हिंसक नहीं हो सकते. इसे महाकव्य कहते हैं. इसके पीछे क्या तर्क है.

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आरएसएस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, "संघ ने अपने आरंभिक काल से ही सेना का हिन्दूकरण और हिन्दुओं के सैन्यीकरण का लक्ष्य बनाकर काम शुरू किया, जो इटली में मुसोलिनी द्वारा स्थापित मॉडल पर आधारित था. आज उसी सोच की परिणति प्रज्ञा ठाकुर और असीमानंद जैसे लोग हैं."

वहीं बीजेपी पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा, "देश के तमाम हिस्सों में आयोजित हो चुके तीन चरणों के मतदान में हार का संकेत देख कर भाजपा ने बाकी के चार चरणों के लिए पार्टी में शामिल किया और भोपाल से प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर चुनाव में मुद्दों की दिशा बदलने का प्रयास किया है. वे लंबे समय से इस कोशिश में थे कि लोगों को साम्प्रदायिक तौर पर बांट कर वोट एकत्रित किए जाएं."