कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रिय अध्यक्ष सोनिया गांधी का आज है 74वां सालगिरह, किसान प्रदर्शन और COVID19 महामारी के बीच अपना जन्मदिन नहीं मनाने का किया फैसला
सोनिया गांधी (Photo Credits: IANS)

नई दिल्ली, 9 दिसंबर : कांग्रेस पार्टी की प्रमुख सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) बुधवार को 74 साल की हो गईं. उन्होंने किसान संकट और कोविड-19 महामारी के बीच अपना जन्मदिन नहीं मनाने का फैसला किया है. उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को राहत कार्यों में शामिल होने के लिए कहा है. पार्टी के नेता जन्मदिन की शुभकामनाएं दे रहे हैं. पार्टी नेता सलमान खुर्शीद ने सोशल मीडिया पर लिखा, "माननीया कांग्रेस अध्यक्ष और यूपीए चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी को शुभकामनाएं. उनके लिए अच्छे स्वास्थ्य की कामना."

सोनिया गांधी, जिनका जन्म 1946 में इतालवी शहर लूसियाना कोन्को में हुआ था, वह भारत की सबसे पुरानी पार्टी की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली अध्यक्ष हैं. इतने वर्षों में उन्होंने उतार-चढ़ाव दोनों देखे हैं, लेकिन इस समय पार्टी के भीतर चीजें ठीक नहीं हैं क्योंकि आंतरिक विद्रोह कुछ समय से बढ़ रहा है और पार्टी सभी प्रकार के चुनावों में भाजपा के विजयी रथ को रोक नहीं पाई है.

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जी 23, जो 23 सदस्यों का एक समूह है, और जिसने पार्टी में सुधारों के बारे में कड़ा पत्र लिखा था, वह भरोसा नहीं कर पा रहा है. बिहार चुनाव में हार के बाद इन लोगों ने फिर से अपनी चिंता जताई है. कुछ समय पहले कोविड की वजह से सोनिया गांधी ने पार्टी का संकटमोचक समझे जाने वाले नेता अहमद पटेल को भी खो दिया. उनका निधन हो गया है. जैसे-जैसे कांग्रेस असम, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु के महत्वपूर्ण राज्यों में चुनावी अभियान की तैयारी कर रही है वैसे-वैसे पार्टी अपने भीतर की अंदरूनी कलह से भी जूझ रही है.

पार्टी के पुराने नेता उनके बेटे राहुल गांधी की कार्यशैली के खिलाफ हैं और उनके फैसलों से खुश नहीं हैं. राष्ट्रीय राजधानी में पिछले कुछ दिनों से चल रहे उग्र किसानों के विरोध में, कांग्रेस का नेतृत्व पंजाब के मुख्यमंत्री कर रहे हैं, जो इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं. राहुल गांधी अपने ट्रैक्टर यात्रा के दौरान शुरूआती बढ़त लेने के बावजूद अंतिम रूप से उपस्थिति दर्ज कराने में नाकामयाब रहे.

पार्टी जल्द ही अध्यक्ष पद का चुनाव कराने जा रही है और अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अगर राहुल गांधी खड़े होते हैं तो वो निर्विरोध जीत जाएंगे लेकिन अगर वह उम्मीदवार खड़ा करते हैं तो पद निर्विरोध नहीं जीता जा सकेगा. जबकि सोनिया गांधी जिन्होंने 1998 में पार्टी का नेतृत्व संभाला था और 2004 में चुनी गई यूपीए की सरकार बनाई और 2014 तक देश की सबसे शक्तिशाली व्यक्ति थीं, तब से पार्टी लगातार दो आम चुनाव हार चुकी है.

पार्टी के सदस्य खुले तौर पर नामांकन संस्कृति के खिलाफ आ गए हैं और पार्टी में सुधार करने के लिए ब्लॉक से कांग्रेस वकिर्ंग कमेटी स्तर तक चुनाव की मांग की है. निलंबित पार्टी प्रवक्ता संजय झा ने सोनिया के जन्मदिन के पहले एक लेख लिखा और ट्वीट किया, "यह विकास, परिवर्तन की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है." उन्होंने लिखा कि एक बार अचूक गांधी ब्रांड कमजोर हो गया है. यह अनुकूलन के लिए धीमा हो गया है. वे अब कांग्रेस की जादू की छड़ी नहीं हैं. वे इसके क्रिप्टोनाइट बन गए हैं. यह बदलाव का समय है."