केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 (Article 370) को खत्म कर दिया है. हालांकि एनडीए की सहयोगी जेडीयू (JDU) ने इसका विरोध किया है. दरअसल, बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जेडीयू शुरुआत से ही अनुच्छेद 370 जैसे विवादास्पद मुद्दों को लेकर बीजेपी (BJP) से अलग रुख अपनाती रही है. इससे पहले ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को भी मोदी सरकार ने संसद के दोनों सदनों से पास कराया और जेडीयू ने इस बिल का भी विरोध किया. इससे पहले केंद्र में दूसरी बार सत्ता में लौटी मोदी सरकार में शामिल होने से सीएम नीतीश कुमार ने साफ इनकार कर दिया था.
दरअसल, जेडीयू हमेशा से बीजेपी को विवादास्पद मुद्दे को छेड़ने से बचने की बात करती आई है. अनुच्छेद 370, तीन तलाक के अलावा समान नागिरक संहिता और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर जेडीयू और बीजेपी के अलग-अलग स्टैंड हैं. बहरहाल, जेडीयू के विरोध के बावजूद बीजेपी ने तीन तलाक बिल और अनुच्छेद 370 को खत्म करने काम पूरा कर लिया है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या जेडीयू बीजेपी के साथ गठबंधन में बनी रहेगी या फिर एनडीए से बाहर निकलेगी?
उल्लेखनीय है कि अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने पर जेडीयू का कहना है कि कश्मीर मुद्दे का समाधान सभी पक्षों के बीच आपसी बातचीत से या न्यायिक फैसले से होना चाहिए. इसके अलावा अयोध्या मामले का समाधान अदालत में या आपसी सहमति से होना चाहिए. जेडीयू का साफ तौर पर कहना है कि समान नागरिक संहिता से भी कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए. हालांकि विरोध के बावजूद बीजेपी ने तीन तलाक बिल और अनुच्छेद 370 पर अपने कदम आगे बढ़ा लिए. इस पर जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि पार्टी इन मुद्दों पर बीजेपी के साथ नहीं है, लेकिन इसका असर गठबंधन पर नहीं पड़ेगा. यह भी पढ़ें- अनुच्छेद 370: जम्मू-कश्मीर पर सरकार के फैसले के विरोध में जेडीयू ने लोकसभा से किया वाकआउट
इस बीच, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आरजेडी की बुरी हालत और लालू प्रसाद यादव के जेल में रहने को अवसर के रूप में देखते हुए जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार अल्पसंख्यकों के बीच अपनी पैठ मजबूत करना चाहते हैं. विवादित मुद्दों पर बीजेपी के स्टैंड को समर्थन देने से जेडीयू की धर्मनिरपेक्ष छवि को आघात लगेगा. ऐसे में नीतीश कुमार इन मुद्दों पर बीजेपी का विरोध करते हुए एनडीए में बने रहना चाहते हैं.