UP: गृहमंत्री  अमित शाह बोले, 'अपनी राजभाषा को मजबूत करने की जरूरत'
अमित शाह (Photo Credits-ANI Twitter)

वाराणसी, 13 नवम्बर: गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि हिंदी और हमारी सभी स्थानीय भाषाओं के बीच कोई अंतर्विरोध नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं गुजराती से ज्यादा हिंदी भाषा का प्रयोग करता हूं. हमें अपनी राजभाषा को और मजबूत करने की जरूरत है. वाराणसी के हस्तकला संकुल में शनिवार को अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को गृहमंत्री अमित शाह संबोधित कर रहे थे. कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत में देश के सभी लोगों से आह्वान करना चाहता हूं कि स्वभाषा के लिए हमारा एक लक्ष्य जो छूट गया था, हम उसका स्मरण करें और उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं. पूर्वांचल दौरे पर पहुंचे अमित शाह, दलित वोटों पर फोकस का दिया मूलमंत्र

कहा कि यह संकल्प होना चाहिए कि हिंदी का वैश्विक स्वरूप हो. मैं भी हिंदी भाषी नहीं हूं, मेरी मातृभाषा गुजराती है. मुझे गुजराती बोलने में कोई परहेज नहीं है. लेकिन, मैं गुजराती से अधिक हिंदी प्रयोग करता हूं. राजभाषा विभाग की जिम्मेदारी है कि वह स्थानीय भाषा का भी विकास करें. काशी हमेशा विद्या की राजधानी है. काशी सांस्कृतिक नगरी है. देश के इतिहास को काशी से अलग कर नहीं देख सकते। काशी भाषाओं का गोमुख है. हिंदी का जन्म काशी में हुआ है.

गृहमंत्री ने कहा कि पहले हिंदी भाषा के लिए बहुत सारे विवाद खड़े करने का प्रयास किया गया था, लेकिन वो वक्त अब समाप्त हो गया है. प्रधानमंत्री मोदी ने गौरव के साथ हमारी भाषाओं को दुनिया भर में प्रतिस्थापित करने का काम किया है. कहा कि जो देश अपनी भाषा खो देता है, वो देश अपनी सभ्यता, संस्कृति और अपने मौलिक चिंतन को भी खो देता है. जो देश अपने मौलिक चिंतन को खो देते हैं वो दुनिया को आगे बढ़ाने में योगदान नहीं कर सकते हैं.

दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली लिपिबद्ध भाषाएं भारत में हैं. उन्हें हमें आगे बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि हिंदी अक्षर शब्द का प्रयोग है अर्थात जिसका कभी क्षरण नहीं हो सकता। अभिभावकों से अनुरोध है कि वे अपनी भाषा में बोलें. भाषा जितनी समृद्धि होगी संस्कृति उतनी ही गजबूत होगी. युवाओं से अपील कर रहा हूं कि वे हिंदी में बोलने में गर्व महसूस करें.

उन्होंने कहा कि भाषा जितनी सशक्त और समृद्ध होगी, उतनी ही संस्कृति व सभ्यता विस्तृत और सशक्त होगी। मैं गौरव के साथ कहना चाहता हूं कि आज गृह मंत्रालय में अब एक भी फाइल ऐसी नहीं है, जो अंग्रेजी में लिखी जाती या पढ़ी जाती है, पूरी तरह हमने राजभाषा को स्वीकार किया है. बहुत सारे विभाग भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आजादी के बाद पहला सम्मेलन यहां हो रहा है. ईश्वर से आभिव्यक्ति का माध्यम भाषा हमारी मातृ भाषा होती है. हिंदी का पहला सम्मेलन राजधानी के बाहर होने में 75 वर्ष हो गए. तुलसी दास ने रामचरित मानस को रचा जो शिव की प्रेरणा से अवधी भाषा में लिखा गया. आज हर घर में रामचरित मानस रखा मिलेगा. मारीशस के गांव में गए तो देखा कि उनके घरों में रामचरित मानस मौजूद है. वे आज भी उसकी पूजा करते हैं.