अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) के लिए एनसीपी नेता शरद पवार (NCP Leader Sharad Pawar) विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हो सकते हैं. शरद पवार के राष्ट्रपति के पद के उम्मीदवार बनने की चर्चा राजनीतिक गलियारों में तब तेज हो गई जब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress Leader Rahul Gandhi) के आवास पर उनसे मुलाकात हुई.
मंगलवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के मुलाकात के बाद सियासी गलियारों में कयास यह लगाए जा रहे हैं कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सुप्रीमो शरद पवार को देश में अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार बनाने के लिए लामबंदी तो नहीं कर रहे हैं. इस बात की चर्चा तेज है कि प्रशांत राष्ट्रपति चुनाव के लिए पूरे विपक्ष को साधने में अभी ही से जुट गए हैं.
यह भी पढ़ें: कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं प्रशांत किशोर, राहुल गांधी को होगा "कुछ बड़ा" फायदा?
It is absolutely false that I will be a candidate for the Presidential election. I know what will be the result, given the party that has more than 300 MPs. I will not be a candidate for the Presidential election: NCP chief Sharad Pawar
(File photo) pic.twitter.com/uzLbYip3nE
— ANI (@ANI) July 14, 2021
वहीं राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि बीजेपी की ओर से राष्ट्रपति चुनाव के लिए कोई दलित या पिछड़ी जाति का नेता होगा। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तरह किसी राज्यपाल को राष्ट्रपति के लिए प्रोजेक्ट कर सकती है। इस लिहाज से अनुसूचित जाति से आने वाले कर्नाटक के नवनियुक्त राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत फिट बैठते हैं. बीजेपी गहलोत को आगामी राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बना सकती है.
वहीं, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के बाद से प्रशांत किशोर शरद पवार के बीच अब तक करीब तीन बार मुलाकात हो चुकी है. बता दें कि 24 जुलाई 2022 को देश के वर्तमान 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल पूरा हो रहा है. इससे पहले उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राहुल गांधी से बैठक के बाद प्रशांत किशोर अगले विधानसभा चुनावों और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष को भाजपा के खिलाफ एकजुट करने की मुहिम में अभी ही से जुट गए हैं. हांलाकि प्रशांत पहले ही कह चुके हैं कि तीसरा और चौथा मोर्चा 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती नहीं दे पाएगा.
लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राहुल-प्रियंका के साथ मिलकर प्रशांत किशोर मोदी सरकार के विजयी रथ को रोकने की रणनीति बना रहे हैं, जिसका असर अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में देखने को मिल सकता है.
वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रशांत किशोर की रणनीति ये रणनीति हो सकती है कि, अगर विपक्ष एकजुट हो जाता है तो, इलेक्टोरल कॉलेज के मामले सरकार के मुकाबले वह मजबूत होगा. इसके साथ ही, अगर विपक्षी पार्टियों के साथ नवीन पटनायक साथ आ जाते हैं तो उनका यह रास्ता और भी आसान हो जाएगा.
क्योंकि महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों में पहले ही विपक्षी पार्टियां सत्ता में हैं. ऐसी स्थिति में इन राज्यों से विपक्ष को बड़ी संख्या हासिल हो सकती है. लेकिन ओड़िशा एक ऐसा राज्य है जिसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है क्योंकि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पूरी तरह से विपक्ष के साथ खड़े नजर नहीं आते.