कोरोना वैक्सीन की तैयारियों के बीच नया स्ट्रेन (Strain) अपने आप में एक नई चुनौती है तब जबकि कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में चल रही है. हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो इस म्यूटेशन (Mutations) के बाद भी इस पर वैक्सीन का असर होगा. दरअसल यह वायरस बहुत धीरे म्यूटेट होता है और अब तक कोरोना वायरस के महज दर्ज भर म्यूटेशन पाये गए हैं.
ब्रिटेन से निकलते इस नए वायरस की चुनौती कितनी गंभीर :
इस संबंध में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (ICMR) के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग के पूर्व प्रमुख डॉ. रमन आर. गंगाखेडकर (Dr. Raman R. Gangakhedkar) बताते हैं कि वे ब्रिटेन (Britain) में पाए गए नए स्ट्रेन को बेहद गंभीर चुनौती नहीं मानते. उन्होंने बताया कि इंग्लैंड (England) में इस स्ट्रेन को लेकर बोला गया है कि यह विषाणु एक इंसान से दूसरे इंसान को लगने की थोड़ी ताकत रखता है, इसका मतलब आप ऐसे समझिए कि हम जो आर जीरो की बात कर रहे थे वो केवल एक इंसान को ही लगता था लेकिन यह 1.7 लोगों को लग सकता है ऐसा उनका अंदाजा है. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिटेन ने किस चीज के ऊपर आधार रखकर यह बात रखी है यह अभी किसी को पता नहीं है. यदि लैब में स्टडीज हो रही होगी तो इसको इंसानों में जब तक स्टडीज नहीं होती तब तक हमें उसके बारे में ज्यादा सोचना नहीं है.
दूसरी बड़ी बात यह है कि ये विषाणु होने की वजह से मौत होने का डर तो नहीं बढ़ता या सीवियर कोविड (Sevier covid)होने का डर भी उतना नहीं बढ़ता है. ऐसे में हम लोगों को ये चिंता करने की आवश्यक्ता नहीं है कि इस विषाणु के फैलने पर हमको कुछ तकलीफ होगी. शायद ऐसा कुछ नहीं होने वाला. दरअसल, हमारे वैक्सीन काम करने वाले हैं क्योंकि उसमें स्वाइप प्रोटीन मौजूद है. यह भी पढ़ें : Coronavirus Cases Update Worldwide: वैश्विक स्तर पर COVID-19 का आकड़ा 7.86 करोड़, अब तक 17.2 लाख से अधिक संक्रमितों की हुई मौत
डॉ. गंगाखेड़कर कहते हैं कि यह तो एक पॉइंट म्यूटेशन है जिसको एन फाइव वन जीरो म्यूटेशन (En five one zero mutation) बोलते हैं. उसके साथ में जो बाकी के म्यूटेशन है वो इससे जुड़े हुए नहीं हैं, लेकिन हमको इससे कुछ सीखना पड़ेगा. सबसे बड़ी बात है कि हमको वैक्सीन लेने की कोशिश करते ही रहना है, जितना जल्द दे पाएं उतना अच्छा रहेगा लेकिन बचाव के लिहाज से कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर को भी जारी रखना पड़ेगा.
ब्रिटेन से बाहर पहुंचा वायरस, लोगों के मन में शंका
आईएलबीस के डायरेक्टर एस. के. सरीन (s. K. Sarin) ने प्रसार भारती से बातचीत में कहा कि वायरस का यह नेचुरल प्रोसेस (Natural process) है कि एक वायरस जब मल्टीप्लाई करता है और बहुत सारे टाइ मल्टीप्लाई करते हैं तो उसमें थोड़ा चेंज तो आ जाता है. जैसे हम कम्प्यूटर का कोड लेते हैं वैसे ही हम वायरस का भी कोड लेते हैं. वायरस का कोड करीब 30 हजार लैटर्स का है और तीस हजार लैटर्स में से एक लैटर्स भी इधर-उधर हो जाए तो उस वायरस का शेप बदल जाता है. अभी यदि आप एचआईवी से कोरोना वायरस की तुलना करें तो इसमें बेहद स्लो म्यूटेशंस हैं. हेपेटाइटस सी वायरस के अंदर बहुत ज्यादा म्यूटेशन हैं. उसके हिसाब से कोरोना के म्यूटेशन कम हैं और अभी तक कोई दस से 12 म्यूटेशन पाए गए हैं. यह भी पढ़ें : Coronavirus New Strain: नए कोरोना वायरस को लेकर भारत सतर्क, UK से आने वाले लोगों के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एसओपी
म्यूटेशन होता क्या है आप इसे कैसे समझें :
म्यूटेशन को ऐसे समझे जैसे बहुत बड़ी पॉपुलेशन में हर आदमी अलग-अलग तरह के होते हैं जैसे कोई मोटा, कोई लंबा तो कोई छोटा. म्यूटेशन मतलब सरवाइवल ऑफ ए वायरल स्ट्रेन. मतलब बहुत सारे नॉर्मल तरह के वायरस तो बॉडी ने मार दिए एक वायरस जो बचा हुआ था जो डिफरेंट तरह का बना हुआ था वह एक से दूसरे में गया तो यह एक नॉर्मल प्रोसेस (Normal process) है कोरोना वायरस (Corona virus) के सरवाइवल का. वायरस एक तरह से चेंज करता है जिससे की बॉडी उसे मार नहीं पाए और ये म्यूटेशंस धीरे-धीरे एक से दूसरे वायरस को मिलने में उसकी शेप बदलने में हो जाते हैं. अभी यूके के वायरस का म्यूटेशन जो पाया गया है उसके बारे में पता तो करीब सितम्बर माह से था. म्यूटेशन की दो चिंताएं होती हैं कि वैक्सीन काम करेगी या नहीं या दोबारा इंफेक्शन होगा या नहीं. तो अभी रीइंफेक्शन (Reinfection) हो इससे ऐसा कोई खतरा नहीं लगता है. रीइंफेक्शन एक दम अलग चीज होनी चाहिए. वैक्सीन की ऐफीकेसी पर इसका कोई असर पड़ेगा यह अभी कहा नहीं जा रहा.
अगर नया वाला वायरस इस तरीके से बढ़ रहा है कि इसके फैलाव के 70 प्रतिशत ज्यादा संभावनाएं हैं. जैसे इसका आर जीरो 1.7 हो जाता है तो ये वायरस फैल सकता है. ऐसे में हमें यह समझना चाहिए की वायरस की एक नई लहर आ सकती है. यह म्यूटेशन स्पाइक प्रोटीन का म्यूटेशन है.
नए स्ट्रेन का कोरोना वायरस की वैक्सीन पर क्या असर :
डॉ. आर. आर. गंगाखेड़कर बताते हैं कि वैक्सीन (vaccine) के ऊपर इसका प्रभाव होना बेहद मुश्किल है क्योंकि वैक्सीन में स्पाइक प्रोटीन (Spike protein) का जीन इस्तेमाल कर रहे हैं.