
अमृतसर, पंजाब: आज, 6 जून 2025 को, ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में एक बार फिर तनाव का माहौल देखने को मिला. इस मौके पर शिरोमणि अकाली दल (मान गुट) के नेता सिमरनजीत सिंह मान और उनके समर्थक जब स्वर्ण मंदिर पहुंचे, तो वहां 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए गए. यह घटना उस समय हुई जब लोग ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान मारे गए जरनैल सिंह भिंडरावाले को श्रद्धांजलि देने के लिए इकट्ठा हुए थे.
इस नारेबाजी ने एक बार फिर से पंजाब के उन पुराने जख्मों को कुरेद दिया है, जो कई दशकों के बाद भी पूरी तरह से भर नहीं पाए हैं.
#WATCH | अमृतसर, पंजाब: ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी और ऑपरेशन के दौरान मारे गए जरनैल सिंह भिंडरावाले की पुण्यतिथि पर शिरोमणि अकाली दल (मान गुट) के नेता सिमरनजीत सिंह मान के स्वर्ण मंदिर पहुंचने पर लोगों ने 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए।
ऑपरेशन ब्लू स्टार 1 से 10 जून 1984… pic.twitter.com/0Z9OpaUQgd
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 6, 2025
क्या था ऑपरेशन ब्लू स्टार?
आज से 41 साल पहले, 1 से 10 जून 1984 के बीच, भारतीय सेना ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में एक बड़ा सैन्य अभियान चलाया था, जिसे 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' का नाम दिया गया. यह ऑपरेशन, सिख अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके हथियारबंद समर्थकों को स्वर्ण मंदिर से बाहर निकालने के लिए किया गया था.
उस समय भिंडरावाले और उनके साथियों ने स्वर्ण मंदिर परिसर को अपना गढ़ बना लिया था और भारी मात्रा में हथियार जमा कर लिए थे, जिससे देश की एकता और अखंडता पर खतरा मंडराने लगा था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए सेना को स्वर्ण मंदिर में भेजने का फैसला किया.
इस ऑपरेशन के दौरान दोनों तरफ से भारी गोलीबारी हुई, जिसमें जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके कई समर्थक मारे गए. इस कार्रवाई में कई आम नागरिक भी मारे गए और सेना के जवानों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी. इस ऑपरेशन की वजह से सिखों के सबसे पवित्र स्थल, श्री अकाल तख्त साहिब को भी भारी नुकसान पहुंचा, जिसकी वजह से सिख समुदाय की भावनाएं बुरी तरह आहत हुईं.
क्यों है यह आज भी एक संवेदनशील मुद्दा?
कई सिख संगठन और लोग यह मानते हैं कि सरकार ने स्थिति को बातचीत से सुलझाने की बजाय सैन्य कार्रवाई का रास्ता चुना, जो गलत था. इसी ऑपरेशन के कुछ महीनों बाद, 31 अक्टूबर 1984 को, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही दो सिख अंगरक्षकों ने कर दी थी, जिसे ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला माना जाता है. इसके बाद देश भर में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे, जिसमें हजारों निर्दोष सिखों की जान चली गई.
हर साल जब भी ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी आती है, तो पंजाब में माहौल संवेदनशील हो जाता है। सिमरनजीत सिंह मान और उनके समर्थक जैसे कुछ समूह आज भी खालिस्तान की मांग को जीवित रखे हुए हैं और इस दिन को एक तरह से अपनी ताकत दिखाने के मौके के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.