POK Residents Want To Join India: पाकिस्तान का गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र वर्तमान में गंभीर संकट का सामना कर रहा है क्योंकि हजारों लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं. यहां चलो, चलो कारगिल चलो के नारे लगाए जा रहे हैं, जो जनता के बीच तीव्र गुस्से और हताशा को दर्शाते हैं. यहा की स्थिति बिगड़ने के कगार पर है.
आखिर पाकिस्तान के इस हिस्से में ऐसा क्या हुआ है, जिसने यहां के लोगों को भारत के साथ विलय पर विचार करने के लिए प्रेरित किया है? इसका उत्तर एक प्रमुख शिया मौलवी की गिरफ्तारी और पाकिस्तान के कड़े ईशनिंदा कानूनों के तहत उसे मिली कठोर सजा में निहित है. POK: जयशंकर का पाकिस्तान से सीधा सवाल- पीओके से कब खाली करोगे अवैध कब्जा, धारा 370 हुआ इतिहास
शिया मौलवी मौलवी आगा बाकिर अल-हुसैनी की गिरफ्तारी एक धार्मिक सभा के दौरान की गई उनकी टिप्पणियों के कारण हुई. इसके बाद हुई गिरफ़्तारी से शिया समुदाय में आक्रोश भड़क गया, ख़ासकर स्कर्दू में, जहां विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और यहां तक कि प्रमुख राजमार्गों को भी अवरुद्ध कर दिया गया. स्थिति ने तब चिंताजनक मोड़ ले लिया जब हाल ही में पाकिस्तानी संसद में ईशनिंदा विधेयक पारित किया गया, जो कथित ईशनिंदा के लिए मौलवी आगा बाकिर अल-हुसैनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने के साथ मेल खाता था. इस कदम के कारण गिलगित के पास जलास और द्यमार जैसे सुन्नी-बहुल क्षेत्रों में और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.
Wow, anti-Pakistan protests are breaking out all over POK. They are threatening that they want to merger with India.
Looks like veil of religious superiority is finally being lifted. But will it be safe for India to accept a radical population? pic.twitter.com/5mNLaBSAvF
— The Poll Lady (@ThePollLady) August 31, 2023
गिलगित के स्थानीय लोग शिया मौलवी की गिरफ्तारी से बेहद नाराज हैं. स्थानीय नेताओं ने पाकिस्तानी प्रशासन को गृहयुद्ध की चेतावनी भी दी है. इस विवादास्पद मांग ने सुन्नी और शिया समुदायों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है.
गिलगित-बाल्टिस्तान की स्थिति अस्थिर है. यहां कभी भी विरोध प्रदर्शन हिंसा का रुप ले सकते हैं. शिया समुदाय ने कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान के शियाओं को शरण देने के लिए कारगिल के दरवाजे खोले जाने चाहिए. गौरतलब है कि इस क्षेत्र में 39 प्रतिशत आबादी शिया है, जिसमें 27 प्रतिशत सुन्नी और 18 प्रतिशत इस्माइली मुस्लिम हैं.
#Pakistan: #Protests erupt in #PoK; demands for 'merge with #India' echo amid #protestors ⛽ https://t.co/jICS5UALZK pic.twitter.com/hvxujIfjZx
— Economic Times (@EconomicTimes) September 1, 2023
इस क्षेत्र में शिया-सुन्नी संघर्ष की जड़ें गहरी ऐतिहासिक हैं. यह विवाद 1988 में जनरल जिया-उल-हक के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ, जब 400 शिया मुसलमानों का नरसंहार हुआ था. 2012 में, सरकारी समर्थन से सिपाह-ए-सहाबा जैसे शिया विरोधी संगठन बनाए गए, जो गिलगित-बाल्टिस्तान में शरण पा रहे थे. पाकिस्तान के अधिकारियों ने लंबे समय से क्षेत्र में सुन्नी आबादी को बढ़ाने के उद्देश्य से नीतियां अपनाई हैं, जिसके परिणामस्वरूप शिया समुदाय पर अत्याचार जारी है. इस स्थिति ने शियाओं को अपनी जमीनें बेचने के लिए मजबूर कर दिया है और हालिया ईशनिंदा कानून ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. परिणामस्वरूप, तनाव बना रहता है और दोनों समुदाय स्थायी संघर्ष में फंस जाते हैं.