Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के बाद कर्नाटक कांग्रेस में होगी फूट- पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई
Basavaraj Bommai

बेंगलुरु, 30 मार्च : कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार को कहा कि लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद कांग्रेस में फूट होगी. पार्टी अभी सही उम्मीदवार तलाश पाने में पूरी तरह से असमर्थ है. पार्टी ने महज परिवार के सदस्यों को ही टिकट देना मुनासिब समझा है.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीसरी बार शपथ लेने के बाद कर्नाटक कांग्रेस में विभाजन देखने को मिलेगा." बोम्मई ने कहा कि परिवारवाद की राजनीति कांग्रेस का हॉलमार्क बन चुकी है, लेकिन इस बार पार्टी ने जिस तरह से मंत्री के परिजनों और रिश्तेदारों को टिकट दिया है, उसके पीछे की वजह कुछ और है. यह भी पढ़ें : प्रियंका गांधी वाद्रा ने सरकार पर चुनावी बांड पर फैसले के बाद न्यायपालिका पर ‘दबाव’ डालने का लगाया आरोप

बोम्मई ने कहा, "शीर्ष नेतृत्व ने 10 मंत्रियों से चुनाव लड़ने का आह्वान किया था, लेकिन वो सभी अपनी जीत को लेकर आश्वास्त नहीं थे. वहीं, जब केंद्रीय नेताओं ने उन्हें टिकट देने के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों का नाम सुझाने के लिए कहा, तो उन्होंने अपने बेटे, बेटियों, दामाद और भाई को आगे कर दिया, लेकिन इससे पार्टी को कोई फायदा होने वाला नहीं है, क्योंकि इस बार देश की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोट देने का फैसला कर लिया है."

उन्होंने कहा कि वो 31 मार्च को फैसला करेंगे कि लोकसभा उम्मीदवार के रूप में नामांकन कब दाखिल करना है, क्योंकि वह पार्टी के स्टार प्रचारक भी हैं. ऐसे में वह कुछ संसदीय क्षेत्रों में पार्टी के पक्ष में चुनाव प्रचार भी करेंगे. इसके अलावा वह दूसरे चरण के चुनाव से पहले भी पार्टी के लिए प्रचार कर सकते हैं.

श्रीरंगपटना के कांग्रेस विधायक रमेश बांदीसिद्देगौड़ा द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के अस्पताल में भर्ती होने को लेकर मजाक उड़ाने पर बोम्मई ने कहा कि रमेश कोई डॉक्टर नहीं हैं और स्वास्थ्य के मुद्दे को राजनीति में घसीटना सही नहीं है.

बोम्मई ने कहा, "इस बात के बाकायदा प्रमाण हैं कि कुमारस्वामी वर्तमान में चेन्नई में उपचाराधीन हैं. राजनीति में लड़ाई सियासी मसलों पर होनी चाहिए ना कि व्यक्तिगत मसलों पर. हालांकि, विधायक का कुमारस्वामी के साथ अच्छे ताल्लुक हैं. ऐसे में व्यक्तिगत मुद्दों को अगर सियासी अखाड़े में ना ही लाया जाए, तो बेहतर रहेगा."