नयी दिल्ली, 30 मार्च : कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा ने शनिवार को केंद्र पर उच्चतम न्यायालय द्वारा चुनावी बांड योजना को रद्द किये जाने के बाद न्यायपालिका पर "दबाव" डालने का आरोप लगाया और सवाल किया कि क्या नरेन्द्र मोदी सरकार को स्वतंत्र और मजबूत न्यायपालिका मंजूर नहीं है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा की यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा समेत कुछ अन्य वकीलों की ओर से प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने के प्रयास के आरोप लगाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस पर निशाना साधा था और दावा किया था कि ‘दूसरों’ को धमकाना और धौंस दिखाना विपक्षी पार्टी की ‘पुरानी संस्कृति’ है.
प्रियंका गांधी वाद्रा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘चुनावी बांड (जनता इसे ‘वसूली रैकेट’ कह रही है) पर उच्चतम न्यायालय के एक निर्णय से घोटालों की परतें खुलती देख जिस ढंग से पत्र लिखवाकर न्यायिक ढांचे को दबाव में लाने की कोशिश की जा रही है और फिर स्वयं प्रधानमंत्री का अखाड़े में उतरकर न्यायपालिका पर नकारात्मक टिप्पणी करना बताता है कि दाल में कुछ ज्यादा ही काला है. और कोई न कोई ऐसी बात है जिसे लेकर शायद वह स्वयं घबराए हुए हैं.’’ उन्होंने लिखा, ‘‘राजनीतिक हस्तक्षेप से त्रस्त उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों का संवाददाता सम्मेलन करना, न्यायाधीश को राज्यसभा भेजना, न्यायाधीश को प्रत्याशी बनाकर चुनाव में उतारना, न्यायाधीशों की नियुक्ति पर भी नियंत्रण का प्रयास करना और अपने विरुद्ध निर्णय आने पर न्यायपालिका के ऊपर टिप्पणी करना…. क्या मोदी जी की सरकार को एक स्वतंत्र और सशक्त न्यायपालिका मंजूर नहीं है?’’ यह भी पढ़ें : VIDEO: इंदौर के लोगों ने पेश की मानवता की मिसाल, रंगपंचमी के जुलूस में उमड़ी लाखों लोगों की भीड़ के बीच एम्बुलेंस को दिया रास्ता
भारत के प्रधान न्यायाधीश को 600 से अधिक वकीलों द्वारा भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को 26 मार्च को लिखे गए पत्र में कहा गया है, ‘‘उनकी दबाव की रणनीति राजनीतिक मामलों में, विशेषकर उन मामलों में सबसे ज्यादा स्पष्ट होती है जिनमें भ्रष्टाचार की आरोपी राजनीतिक हस्तियां होती हैं. ये रणनीतियां हमारी अदालतों के लिए हानिकारक हैं और हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने को खतरे में डालती हैं.’’ आधिकारिक सूत्रों द्वारा साझा किए गए पत्र में बिना नाम लिए वकीलों के एक वर्ग पर निशाना साधा गया है और आरोप लगाया गया है कि वे दिन में नेताओं का बचाव करते हैं और फिर रात में मीडिया के माध्यम से न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं.