Locust Attack: राजस्थान में टिड्डी दल का हमला जारी, जयपुर के फागी इलाके में टिड्डियों को भगाने के लिए किया गया केमिकल का छिड़काव (Watch Video)
टिड्डी दल का हमला (Photo Credits: ANI)

जयपुर: एक ओर जहां देश कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के खिलाफ जंग लड़ रहा है तो वहीं पाकिस्तान (Pakistan) से आए टिड्डियों का दल (Tiddi Dal) अन्नदाता किसानों के लिए लगातार चुनौती बनता जा रहा है. पाकिस्तान के रास्ते देश में घुसपैठ करने के बाद टिड्डियों के दल ने राजस्थान, पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में कहर बरपाया है, लेकिन राजस्थान में टिड्डी दल के आक्रमण  (Locust Attack In Rajasthan) का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. आमतौर पर टिड्डियों का (Tiddi Attack) दल जून से नवंबर तक भारत के सीमावर्ती इलाकों में सक्रीय रहता है और इस साल टिड्डियों के दल ने पहली बार 11 अप्रैल को देश में घुसपैठ की थी.

राजस्थान के जयपुर स्थित फागी पंचायत में टिड्डी दल का आक्रमण लगातार जारी है. टिड्डियों के आक्रमण को नियंत्रित करने के लिए कृषि विभाग की टीमें केमिकल का छिड़काव कर रही हैं. दवा के छिड़काव के जरिए टिड्डियों को भगाने की कोशिश की जा रही है. यह भी पढ़ें: टिड्डी दल का आक्रमण: किसानों के दुश्मन से डीजे, ढोल-नगाड़े समेत इन अनोखे तरीकों से किया जा रहा मुकाबला

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राज्य कृषि विभाग के निदेशक बीआर कड़वा (BR Kadwa) का कहना है कि टिड्डियों का हमला पिछले 1.5 महीने से जारी है. जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, गंगानगर जिले पाकिस्तान के साथ सीमा शेयर करते हैं, जहां से टिड्डियों का दल अन्य जिलों में प्रवेश कर रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रोज टिड्डियों के नए झुंड आ रहे हैं. आज ही 4 नए झुंड आए. अब हालात बदल रहे हैं, पहले खेतों में फसलें नहीं थीं, लेकिन अब फसलें खड़ी हैं. सरकार का कहना है कि टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिए बॉर्डर इलाकों में वायुसेना के हेलिकॉप्टर की मदद भी ली जाएगी. यह भी पढ़ें: टिड्डी दल का आक्रमण: पाकिस्तान से आए टिड्डियों का राजस्थान और मध्य प्रदेश में कहर, देंखें वीडियो

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ज्ञात हो कि टिड्डियों के लिए प्रजनन के तीन सीजन होते हैं. पहला शीतकालीन (नवंबर से दिसंबर) दूसरा वसंत (जनवरी से जून) और तीसरा ग्रीष्मकालीन (जुलाई से अक्टूबर) है. तीनों सीजन में भारत के लिए ग्रीष्मकालीन प्रजनन वाले टिड्डे समस्या का कारण बनते है. गौरतलब है कि दुनिया में करीब 30 मिलियन वर्ग किलोमीटर में रेगिस्तानी टिड्डियों का आतंक है, जिसमें ईरान, अफगानिस्तान, भारतीय उप-महाद्वीप, उत्तर-पश्चिम और पूर्वी अफ्रीकी देश और अरब प्रायद्वीप जैसे देश शामिल हैं.