टिड्डी दल का आक्रमण: किसानों के दुश्मन से डीजे, ढोल-नगाड़े समेत इन अनोखे तरीकों से किया जा रहा मुकाबला
डीजे I प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस महामारी के बीच किसानों के दुश्मन टिड्डी दल गंभीर खतरा बनते जा रहे है. पाकिस्तान के रास्ते राजस्थान होते हुए देश में प्रवेश करने वाली टिड्डियों की फौज ने राजस्थान, पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में कहर बरपाया है. और अभी भी बदस्तूर जारी है. हालत यह है कि टिड्डियां किसी भी समय देश की राजधानी दिल्ली का रुख कर सकती है. दिल्ली में अगर हवा का रुख बदल तो पेड़-पौधों के दुश्मन कभी भी धावा बोल सकते है.

केंद्र और राज्य सरकार अपने-अपने स्टार पर टिड्डी के प्रकोप पर नियंत्रण पाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है. टिड्डियों को मारने के लिए ड्रोन और हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर कीटनाशकों का छिड़काव करने की योजना है. राजस्थान के कई प्रबावित क्षेत्रों में फायर ब्रिगेड ने कीटनाशकों का छिड़काव किया है. दरअसल क्लोरोपॉयरीफॉस और साइपरमैथ्रीन पानी में मिलाकर फसलों पर छिड़काव करने अथवा फैलवैनरेट तीन से पांच किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़कने पर इसकी गंध से टिड्डी भाग जाते है. टिड्डी दल का आक्रमण: टिड्डियों से जुड़ी ये बातें शायद ही जानते होंगे आप, एक बार जरुर पढ़ें

साथ ही किसान टिड्डी दल को भागने के लिए सामूहिक रूप से ढोल-ड्रम, कनस्तर, थाली बजा रहे है. कई जगहों पर तो खेतों में डीजे लगाया गया है. खेतों के करीब बगैर साइलेंसर के ट्रैक्टर दौड़ाया जा रहा है. मध्यप्रदेश के पन्ना में कल तो जिला प्रशासन ने पुलिस सायरन का इस्तेमाल कर टिड्डो के झुंडों को भगाया. दरअसल तेज आवाज सुनकर टिड्डी दल वापस उड़ जाते है.

उधर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टिड्डी दल पर नियंत्रण पाने के लिए प्रदेश के सीमावर्ती जनपदों- झांसी, ललितपुर, आगरा, मथुरा, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट, जालौन, इटावा एवं कानपुर देहात में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों और कृषि विभाग के अधिकारियों को टिड्डी दल से बचाव के लिए उचित कदम उठाने के लिए कहा है. टिड्डियों का झुंड उत्तर प्रदेश के झांसी पहुंच चुका है.

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बताया कि राजस्थान के 21 जिले, मध्यप्रदेश के 18 जिले, पंजाब का एक जिला और गुजरात के दो जिले इसकी चपेट में हैं. वैज्ञानिक बताते हैं कि टिड्डी दल दिनभर में तकरीबन 150 किलोमीटर का सफर तय करता है और यह हवा के रुख के अनुसार झुंड चलता है. हालांकि इस साल टिड्डियों का दल करीब एक महिना पहले ही देश की सीमा में दाखिल हुआ है. 26 साल बाद टिड्डी दल ने इतना बड़ा नुकसान पहुंचाया है. (एजेंसी इनपुट के साथ)